प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के रूप में कार्यरत शिक्षकों को नियुक्ति के पांच वर्ष बाद पदोन्नति मिलनी चाहिए। यह पदोन्नति या तो प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक पद पर होती है, या उच्च प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के रूप में। लेकिन बीते कई वर्षों से यह प्रक्रिया विवादों और नियमों की उलझनों के कारण ठप पड़ी हुई थी। विशेषकर टीईटी (TET) की अनिवार्यता को लेकर उत्पन्न कानूनी विवाद ने पदोन्नति की राह में बड़ी बाधा खड़ी कर दी थी।
प्रदेश के हजारों शिक्षक ऐसे हैं, जिन्हें नियुक्ति के एक दशक से भी अधिक समय बाद भी पदोन्नति नहीं मिल सकी है। इससे न केवल शिक्षकों में असंतोष व्याप्त था, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में भी व्यवधान उत्पन्न हो रहा था, क्योंकि योग्य और अनुभवी शिक्षक नेतृत्व के अवसर से वंचित रह रहे थे।
अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद इन टीचरों के पदोन्नति प्रक्रिया का रास्ता साफ हो गया हैं। यह आदेश शिक्षा विभाग और शिक्षकों दोनों के लिए ऐतिहासिक माना जा रहा है। इससे न केवल शिक्षकों को उनके कार्य के अनुरूप सम्मान और उत्तरदायित्व मिल सकेगा, बल्कि स्कूलों में प्रबंधन और शिक्षण की गुणवत्ता में भी सुधार आने की उम्मीद है।
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