तेजी से बढ़ता उपभोग, निर्माण की ओर बढ़ते कदम
वर्तमान में भारत हर साल लगभग 24 अरब डॉलर के सेमीकंडक्टर आयात करता है। मोबाइल फोन, ऑटोमोबाइल, कंप्यूटिंग डिवाइसेज और रक्षा प्रणालियों तक, सेमीकंडक्टर का उपयोग हर क्षेत्र में होता है। लेकिन चिंता की बात यह है कि भारत इस विशाल मांग के बावजूद अब तक घरेलू उत्पादन में लगभग नगण्य है। हालांकि, अब यह तस्वीर बदल रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2030 तक भारतीय सेमीकंडक्टर बाज़ार 100 से 120 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
गुजरात से शुरू, देशभर में विस्तार
गुजरात के सानंद में हाल ही में उद्घाटित OSAT यूनिट (Outsourced Semiconductor Assembly and Test) इस यात्रा का पहला वास्तविक कदम है। CG Semi Private Limited द्वारा स्थापित यह प्लांट दिखाता है कि भारत अब केवल सैद्धांतिक घोषणाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि जमीन पर वास्तविक बदलाव शुरू हो चुके हैं। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की पहली स्वदेशी चिप को राष्ट्र को समर्पित करेंगे, तो वह एक प्रतीकात्मक क्षण होगा भारत के तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक निर्णायक मोड़।
ICEA और नेतृत्व का नया मंच
इंडिया सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) द्वारा शुरू किया गया 'सेमीकंडक्टर प्रोडक्ट डिज़ाइन लीडरशिप फोरम' इस बदलाव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस मंच का उद्देश्य स्पष्ट है, भारत को सेमीकंडक्टर डिज़ाइन और इनोवेशन में वैश्विक लीडर बनाना। 2035 तक कम से कम 100 नई टेक कंपनियों की स्थापना, एक मजबूत तकनीकी इकोसिस्टम का निर्माण, निवेश और प्रतिभा विकास। यह सभी इस पहल का हिस्सा हैं। यह मंच केवल एक संगठन नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जो भारत की तकनीकी क्षमता को नए स्तर पर ले जाने के लिए तैयार है।
सेमीकॉन मिशन 2.0: नज़रिया और रणनीति
सरकार द्वारा सेमीकंडक्टर क्षेत्र में 1.60 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश को मंजूरी देना दिखाता है कि यह केवल निजी क्षेत्र का नहीं, बल्कि नीति स्तर पर भी प्राथमिकता है। पहले चरण में 76,000 करोड़ रुपये का निवेश लगभग पूरा हो चुका है, और अब 'सेमीकॉन मिशन 2.0' की तैयारी हो रही है। गुजरात, असम, यूपी, ओडिशा जैसे राज्यों में इन परियोजनाओं का विस्तार इस उद्योग को केवल मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं रखेगा, बल्कि देशभर में औद्योगिक और रोजगार का संतुलित विकास सुनिश्चित करेगा।
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