केंद्र सरकार का फैसला, केंद्रीय कर्मचारियों को 3 बड़ी खुशखबरी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए हाल ही में कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं, जिनसे करोड़ों कर्मचारियों और पेंशनधारकों को सीधा लाभ मिलने वाला है। ये फैसले वेतन, पेंशन और ग्रेच्युटी तीनों ही मोर्चों पर राहत देने वाले साबित हो सकते हैं।

1. आठवें केंद्रीय वेतन आयोग को मिली मंजूरी

सरकार ने आठवें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन को औपचारिक मंजूरी दे दी है। आयोग की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई को सौंपी गई है। आयोग को 18 महीनों के भीतर अपनी अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होगी। माना जा रहा है कि आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकती हैं। इस रिपोर्ट के आने के बाद केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में संशोधन की संभावना है, जिससे उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। पिछले सातवें वेतन आयोग के बाद यह सबसे बड़ा बदलाव होगा, जो महंगाई और बढ़ते खर्चों के बीच कर्मचारियों के लिए राहत लेकर आएगा।

2. पेंशन योजना बदलने का मिला एक और मौका

सरकार ने अपने कर्मचारियों को पेंशन स्कीम बदलने का एक और अवसर प्रदान किया है। पहले इस बदलाव की अंतिम तिथि 30 सितंबर 2025 तय थी, जिसे अब बढ़ाकर 30 नवंबर 2025 कर दिया गया है। इस सुविधा के तहत वे कर्मचारी, जिन्होंने पहले यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को चुना था, यदि चाहें तो अब नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में स्विच कर सकते हैं। सरकार का मानना है कि यह कदम कर्मचारियों को अपने आर्थिक भविष्य के अनुसार उचित विकल्प चुनने का अवसर देगा। हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि यह अवसर सीमित अवधि के लिए है और अंतिम तारीख नजदीक आने के कारण इच्छुक कर्मचारियों को जल्द ही निर्णय लेना होगा।

3. ग्रेच्युटी की सीमा बढ़ाकर 25 लाख रुपये की गई

केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को तीसरा बड़ा तोहफा देते हुए ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दी है। यह बदलाव सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले लाभों में एक अहम सुधार माना जा रहा है। हालांकि, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के अधीन आने वाले पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग (DoPPW) ने स्पष्ट किया है कि यह लाभ केवल उन्हीं कर्मचारियों को मिलेगा जो सेंट्रल सिविल सर्विसेज (पेंशन) रूल्स 2021 या सेंट्रल सिविल सर्विसेज (पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी अंडर NPS) रूल्स 2021 के अंतर्गत आते हैं। इसका अर्थ यह है कि बैंक, आरबीआई, पीएसयू, विश्वविद्यालय, राज्य सरकार या स्वायत्त संस्थानों के कर्मचारी इस निर्णय के दायरे में नहीं आएंगे, क्योंकि वे अपने-अपने नियमों के अनुसार कार्यरत हैं।

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