बिहार में इन "डॉक्टरों" पर होगा एक्शन, कड़े निर्देश जारी!

पटना। बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पारदर्शिता को लेकर जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने सख्त रुख अपनाया है। समाहरणालय पटना में आयोजित जिला स्वास्थ्य समिति की समीक्षा बैठक में डीएम ने स्पष्ट कहा कि सरकारी अस्पतालों में लेट-लतीफी और लापरवाही किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

चिकितकों और पैरामेडिकल स्टाफ की नियमित उपस्थिति जरूरी

डीएम ने सिविल सर्जन को निर्देश दिए कि सभी अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, उप-केंद्र और अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों और पैरामेडिकल कर्मियों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित की जाए। बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य होगी और वेतन केवल उसी आधार पर जारी किया जाएगा।

मरीजों के अनुभव में सुधार आवश्यक

जिलाधिकारी ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मिलने वाली सेवाओं की गुणवत्ता और “पब्लिक परसेप्शन” सुधारना आवश्यक है। उन्होंने साफ-सफाई, समय पर इलाज, निःशुल्क दवाइयाँ और जांच, उचित प्रतीक्षा समय और गुणवत्तापूर्ण भोजन पर विशेष जोर दिया।

मुख्य स्वास्थ्य संकेतकों की समीक्षा

ओपीडी, आइपीडी, एएनसी, संस्थागत प्रसव और अन्य स्वास्थ्य संकेतकों पर सभी प्रखंडों का प्रदर्शन समीक्षा के दायरे में लाया जाएगा। खराब प्रदर्शन करने वाले अस्पतालों और उनके प्रभारी चिकित्सकों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

बख्तियारपुर अस्पताल पर कार्रवाई

समीक्षा में यह पाया गया कि बख्तियारपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अप्रैल से अक्टूबर तक सी-सेक्शन डिलिवरी शून्य रही। डीएम ने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी और प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक को स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया और पहली सी-सेक्शन डिलिवरी तक उनका वेतन रोकने का निर्णय लिया।

अनुपस्थिति पर मोकामा व गर्दनीबाग के चिकित्सकों का वेतन रोका

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मोकामा, रेफरल अस्पताल मोकामा और गर्दनीबाग अस्पताल में कई डॉक्टर बिना सूचना अनुपस्थित पाए गए। इसे गंभीर और आपत्तिजनक बताते हुए डीएम ने उनका वेतन अगले आदेश तक रोकने का निर्देश दिया।

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