आरक्षण में बदलाव का असर
रिपोर्ट्स अनुसार, 2016 और 2021 के चुनावों में जिन पदों पर किसी विशेष कोटि—अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) और महिला के लिए आरक्षण था, अब उन पदों पर यह आरक्षण समाप्त हो जाएगा। 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर नया रोस्टर तैयार किया जाएगा। इससे ग्रामीण राजनीति में नया समीकरण बनेगा और कई दिग्गजों की सीटें प्रभावित होंगी।
कैसे तय होगा नया आरक्षण
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण मिलेगा। उदाहरण के लिए, यदि किसी पंचायत क्षेत्र में SC/ST की आबादी 25 प्रतिशत है, तो वहां 25 प्रतिशत पद आरक्षित होंगे। अत्यंत पिछड़ा वर्ग को कुल पदों में लगभग 20 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। सभी कोटियों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित रहेंगी। कुल आरक्षण किसी भी स्तर पर 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।
पदवार रोस्टर की तैयारी
डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट स्तर पर रोस्टर तैयार किया जाएगा:
ग्राम पंचायत सदस्य: संबंधित ग्राम पंचायत की जनसंख्या के आधार पर।
मुखिया पद: पूरी पंचायत समिति (प्रखंड) की जनसंख्या के आधार पर।
पंचायत समिति सदस्य: पूरे प्रखंड के पदों में 50 प्रतिशत आरक्षण के आधार पर।
प्रखंड प्रमुख: पूरे जिले में पदों के 50 प्रतिशत पर आरक्षण।
जिला परिषद सदस्य और अध्यक्ष: जिले के कुल सदस्यों और पूरे राज्य के अध्यक्ष पदों में 50 प्रतिशत आरक्षण।
क्या बदलेगा चुनाव का परिदृश्य
2026 में इस नए आरक्षण चक्र के लागू होने से कई पंचायतों और जिला परिषदों में पुराने आरक्षित पदों पर सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार चुनाव में उतर सकेंगे, जबकि पहले सामान्य श्रेणी के पद अब SC/ST/EBC कोटे के उम्मीदवारों के लिए खुलेंगे। इससे ग्रामीण राजनीति में नए खेल की शुरुआत होगी और प्रत्याशियों के लिए रणनीति बनाना चुनौतीपूर्ण हो जाएगा।

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