अधिकारियों के अनुसार, इस छह लेन के हाइवे से पूर्वी चंपारण के आठ जिलों के 56 गांवों को जोड़ा जाएगा। एक्सप्रेस-वे का प्रवेश पहाड़पुर से होगा और यह शिवहर जिले में समाप्त होगा। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, और इस दिशा में 491.12 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जाएगी।
प्रमुख लाभ:
इस एक्सप्रेस-वे से सिलीगुड़ी और गोरखपुर के बीच की दूरी लगभग 600 किलोमीटर कम होगी, जिससे यात्रा समय में भारी कमी आएगी। परियोजना से आसपास के क्षेत्रों में औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। इससे राज्य के लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
मार्ग और विस्तार:
ट्रैवेल और टूरिज्म एक्सपर्ट विवेक पांडे के अनुसार, यह एक्सप्रेस-वे बिहार के आठ जिलों – पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज – से होकर गुजरेगा। यह कुल 39 प्रखंडों और 313 गांवों को कवर करेगा।
तकनीकी और वित्तीय पहलू:
एक्सप्रेस-वे पूरी तरह ग्रीनफील्ड में तैयार किया जाएगा, यानी शहरी आबादी से अलग होकर गुजरेगा। इसकी लंबाई लगभग 520 किलोमीटर होगी और निर्माण पर करीब 32,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। वाहनों की गति 120 किलोमीटर प्रति घंटा निर्धारित की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक्सप्रेस-वे न केवल यात्रा को आसान बनाएगा, बल्कि पूर्वी चंपारण और आसपास के इलाकों में आर्थिक विकास और रोजगार की संभावनाओं को भी बढ़ाएगा।

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