पुराने नक्शों से मिल रही थी मुश्किल
चकबंदी विभाग का कहना है कि अब तक इस्तेमाल किए जा रहे भूमि नक्शे या तो बहुत पुराने हैं या फिर इतने खराब हो चुके हैं कि उनमें वास्तविक सीमाओं की पहचान करना कठिन होता है। नई प्रणाली के तहत— हर गाटा संख्या का जीपीएस रोवर से डिजिटल चिह्नांकन होगा जमीन की माप सेंटीमीटर तक की सटीकता के साथ दर्ज की जाएगी, मौके की स्थिति और रिकॉर्ड की स्थिति का स्पष्ट मिलान किया जाएगा।
जीपीएस रोवर क्या है?
रोवर एक विशेष प्रकार का जीपीएस उपकरण है जो एक स्थिर बेस स्टेशन के सापेक्ष चलकर बेहद सटीक लोकेशन बताता है। आम मोबाइल जीपीएस जहां मीटरों में त्रुटि ला सकता है, वहीं रोवर की सटीकता सेंटीमीटर स्तर की होती है। इसे आम तौर पर सर्वेक्षण, मानचित्रण, निर्माण जैसे कार्यों में प्रयोग किया जाता है। चकबंदी विभाग का दावा है कि इस तकनीक के अपनाने से जमीन के हर इंच का हिसाब उपलब्ध होगा।
ग्राम समाज की जमीन भी होगी चिन्हित
इस परियोजना के तहत सिर्फ निजी जमीन ही नहीं, बल्कि ग्राम समाज (पंचायती) जमीन का भी डिजिटल चिह्नांकन किया जाएगा। सरकार का यह प्रयास रहेगा कि ग्राम समाज की सभी जमीनें एक ही स्थान पर एक बड़े चक के रूप में चिन्हित की जाएं ताकि भविष्य में इन जमीनों का उपयोग स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन, खेल मैदान जैसी जनहित से जुड़ी परियोजनाओं में किया जा सके। यह कदम ग्रामीण विकास और भूमि प्रबंधन में बड़ा सुधार साबित हो सकता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राजस्व परिषद ने 20 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के रोवर उपकरण खरीद लिए हैं। चकबंदी विभाग शुरुआती चरण में इन्हीं उपकरणों का उपयोग करके नई मैपिंग शुरू करेगा। लेकिन चूंकि काम का दायरा विशाल है, इसलिए आगे और अधिक रोवर मशीनें खरीदी जा सकती हैं। यह पूरी प्रक्रिया राज्य के सभी जिलों में चरणबद्ध तरीके से लागू होगी।

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