इस यात्रा को लेकर सिर्फ कूटनीति ही नहीं, बल्कि हथियार सौदों की दुनिया में भी उत्सुकता है। खासकर रूस के नए स्टेल्थ लड़ाकू विमान सुखोई-75 ‘चेकमेट’ को लेकर। यह विमान अमेरिका के एफ-35 और चीन के जे-20 का सीधा जवाब माना जा रहा है। ऐसे में भारत को यह ऑफर मिलना क्षेत्रीय राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है।
भारत–रूस रक्षा साझेदारी: नई ऊँचाइयों पर
भारत लंबे समय से रूसी तकनीक पर भरोसा करता आया है। सुखोई-30, मिग-29, टी-90 टैंक से लेकर एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम तक, रूस ने भारत की सैन्य क्षमताओं को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई है। इस बार चर्चा सिर्फ चेकमेट विमान तक सीमित नहीं है। एस-400 सिस्टम की अतिरिक्त यूनिट्स पर बातचीत की भी उम्मीद है। इससे भारत की वायु सुरक्षा और मजबूत होगी, जिसका सीधा संदेश चीन और पाकिस्तान, दोनों को मिलेगा।
क्यों खास है स्टेल्थ फाइटर जेट?
स्टेल्थ डिजाइन वाले विमान रडार पर लगभग दिखाई नहीं देते। रडार जिस तरह तरंगें भेजकर किसी वस्तु का आकार और स्थान पहचानता है, स्टेल्थ विमान अपनी विशेष आकृति और सामग्री की वजह से उन तरंगों को या तो दूसरी दिशा में मोड़ देते हैं या सोख लेते हैं। इससे दुश्मन को भनक तक नहीं लगती कि आसमान में क्या घूम रहा है। जासूसी मिशन, गुप्त ऑपरेशन और शुरुआती हमलों में ये विमान निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
सु-75 'चेकमेट': भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण?
सुखोई-75 एक हल्का, सिंगल-इंजन स्टेल्थ फाइटर है, जिसे लागत के लिहाज़ से एफ-35 का सस्ता विकल्प माना जाता है। इसकी विशेषताएँ, स्टेल्थ डिजाइन, 1800 किमी/घंटा से अधिक गति, आधुनिक रडार और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, ड्रोन नियंत्रण की क्षमता, कम परिचालन लागत। अगर भारत इसे हासिल करता है, तो वायुसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा होगा।

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