यूपी के गांव-गांव में होगा ये काम, लोगों को बड़ी खुशखबरी!

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और कृषि आधारित रोजगार को बढ़ावा देने के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का दायरा गांव-गांव तक फैलाने की तैयारी में है। सरकार का लक्ष्य है कि प्रदेश के हर जिले में हजारों नई प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित हों, ताकि किसानों को उनकी फसल का बेहतर मूल्य मिल सके और ग्रामीण युवाओं के लिए स्थानीय स्तर पर बड़ा रोजगार अवसर तैयार हो।

गांवों में लगेंगी नई इकाइयां, शिविरों के जरिए लोग होंगे जागरूक

राज्य सरकार अब खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना को मिशन मोड में आगे बढ़ा रही है। इसके लिए गांवों में जागरूकता कैंप लगाए जाएंगे, लोगों को योजनाओं की जानकारी दी जाएगी और उन्हें इस दिशा में व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। दीवारों पर संदेश, प्रचार सामग्री और ग्राम पंचायत स्तर पर शिविरों के माध्यम से व्यापक जागरूकता अभियान चलाने की तैयारी है।

नीति-2023 के तहत बड़े प्रोत्साहन, 35% तक की सब्सिडी

सरकार की खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति–2023 इस समय प्रदेश के उद्यमियों के लिए बड़ा अवसर बनकर सामने आई है। इस नीति में कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं, संयंत्र, मशीनरी और तकनीकी उपकरणों पर 35% पूंजीगत अनुदान, अधिकतम 5 करोड़ रुपये तक। इकाइयों के विस्तार और आधुनिकीकरण पर भी 35% सब्सिडी, जिसकी अधिकतम सीमा 1 करोड़ रुपये। प्रसंस्करण इकाइयों में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने पर भी अनुदान।

पीएमएफएमई योजना से 10 लाख रुपये तक की सहायता

प्रदेश सरकार केंद्र की प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (PMFME) को भी गांवों तक ले जाने की योजना बना रही है। इस योजना में व्यक्तिगत इकाइयों को 35% ऋण आधारित पूंजीगत अनुदान, अधिकतम 10 लाख रुपये। स्वयं सहायता समूहों के लिए प्रारंभिक पूंजी समर्थन। प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता की सुविधा। यह योजना छोटे उद्यमियों, महिलाओं और ग्रामीण युवाओं के लिए एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करती है।

गहन प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम भी तैयार

सरकार प्रशिक्षण व्यवस्था को भी मजबूत कर रही है। राजकीय प्रशिक्षण केंद्रों में एक महीने के गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम की तैयारी है। पंचायत स्तर पर तीन दिवसीय शिविर आयोजित किए जाएंगे। इन प्रशिक्षणों का उद्देश्य ग्रामीण युवाओं और महिलाओं को तकनीकी ज्ञान देना, उन्हें आत्मनिर्भर बनाना और स्थानीय स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा देना है।

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