सरकार ने वेतन आयोग के नियम और शर्तों (Terms of Reference – ToR) को मंजूरी दे दी है। आयोग की अध्यक्षता न्यायमूर्ति रंजन प्रकाश देसाई करेंगे और इसमें वित्त, कार्मिक तथा कार्मिक प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। आयोग को अपनी सिफारिशें तैयार करने के लिए 18 महीने की अवधि दी गई है।
इस हिसाब से आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को अप्रैल 2027 तक सौंप सकता है। इसके बाद रिपोर्ट की समीक्षा, कैबिनेट की मंजूरी और लागू करने की प्रक्रिया में कुछ और समय लग सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें 2028 की शुरुआत तक लागू हो सकती हैं।
पिछले आयोगों से सबक:
पिछले दो वेतन आयोगों का इतिहास बताता है कि यह प्रक्रिया कभी भी जल्दी पूरी नहीं होती। 6वें वेतन आयोग को अपनी रिपोर्ट देने में करीब 18 महीने लगे थे और उसकी सिफारिशें 22 महीने बाद लागू हुई थीं। वहीं 7वें वेतन आयोग के गठन से लेकर लागू होने तक करीब 28 महीने का समय लगा था। दोनों ही मामलों में रिपोर्टें बाद में लागू हुईं, लेकिन वेतन वृद्धि को पूर्व प्रभाव से लागू किया गया था यानी सिफारिशें 1 जनवरी से प्रभावी मानी गईं।
क्यों होगा देर से फायदा:
8वें वेतन आयोग की घोषणा जनवरी 2025 में हुई थी, लेकिन ToR को मंजूरी अक्टूबर 2025 में मिली। इस नौ महीने की देरी ने पूरी प्रक्रिया को पहले ही पीछे धकेल दिया है। अब आयोग के पास समीक्षा और रिपोर्ट तैयार करने के लिए तय 18 महीने हैं। इसके बाद रिपोर्ट पर विचार, कैबिनेट की मंजूरी और कार्यान्वयन में और लगभग 8–10 महीने का समय लग सकता है।
कर्मचारियों की उम्मीदें बरकरार:
केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों को उम्मीद है कि सरकार आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू मानी जाएंगी, ताकि उन्हें पिछले वर्षों का एरियर मिल सके। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि सब कुछ तय समयसीमा में पूरा हुआ तो इसका वास्तविक प्रभाव वित्त वर्ष 2028 में दिखेगा।

0 comments:
Post a Comment