बिहार में 'मुखिया' को लेकर बड़ा अपडेट, पढ़ें पूरी डिटेल

पटना। बिहार में 2026 के पंचायत चुनाव भले अभी औपचारिक रूप से घोषित न हुए हों, लेकिन राजनीतिक माहौल पहले से ही गर्म होने लगा है। इसका कारण है आरक्षण चक्र में होने वाला बदलाव और प्रतिनिधियों की शैक्षणिक योग्यता को लेकर चल रही चर्चाएँ। दोनों मुद्दों ने ग्रामीण नेतृत्व और पंचायत प्रतिनिधियों के भविष्य को लेकर नई चिंताएँ खड़ी कर दी हैं।

2021 की तुलना में 2026 का चुनाव क्यों अलग होगा

दरअसल, 2021 के पंचायत चुनाव में बिहार के 8,072 मुखिया पदों में बड़ी संख्या सामान्य श्रेणी में रही थी, जबकि महिलाओं को कुल 3,585 पद मिले थे। लेकिन पंचायती राज अधिनियम के अनुसार हर दो चुनावों के बाद आरक्षण चक्र अनिवार्य रूप से बदलता है। चूँकि 2016 और 2021 दोनों एक ही चक्र के तहत हुए थे, इसलिए 2026 में यह पूरी व्यवस्था नए सिरे से तय होगी।

इस बदलाव का सीधा असर यह होगा कि कई सामान्य सीटें अब आरक्षित श्रेणी में चली जाएँगी, वहीं कई आरक्षित सीटें सामान्य श्रेणी में परिवर्तित हो जाएँगी। इस वजह से बहुत से मौजूदा जनप्रतिनिधियों के लिए अपने ही पद पर दोबारा चुनाव लड़ना संभव नहीं रह जाएगा। खासतौर पर वे मुखिया जो सामान्य सीट से विजयी हुए थे, यदि उनकी सीट अब OBC, SC या ST आरक्षित हो जाती है, तो वे चुनाव लड़ने की पात्रता ही खो देंगे।

आरक्षण का आधार : जनसंख्या और 50% की सीमा

पंचायती राज अधिनियम में स्पष्ट प्रावधान है कि SC-ST के लिए आरक्षण केवल जनसंख्या अनुपात के आधार पर तय होगा। साथ ही सभी श्रेणियों का कुल आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा पार नहीं कर सकता। प्रत्येक श्रेणी में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण अनिवार्य रहेगा।

इस नियम के चलते हर प्रखंड की पंचायतों के जनसंख्या आँकड़े एक बार फिर से समीक्षा में लिए जाएँगे। जैसे ही आरक्षण सूची जारी होगी, पंचायतों में चुनावी समीकरण नए सिरे से बनेंगे और कई क्षेत्रों में राजनीतिक संतुलन पूरी तरह बदल जाएगा।

चुनावी तस्वीर : बदलावों से बढ़ेगी हलचल

एक तरफ आरक्षण चक्र का परिवर्तन और दूसरी तरफ संभावित शैक्षणिक पात्रता दोनों ने ही 2026 के चुनाव को अत्यंत महत्वपूर्ण बना दिया है। पंचायतों में नए समीकरण बनेंगे, पुराने नेतृत्व को चुनौतियाँ मिलेंगी, और राजनीति में नई ऊर्जा के साथ नए चेहरे जुड़ सकते हैं। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएँगे और आरक्षण सूची सामने आएगी, पंचायत राजनीति में हलचल और तेज होने की पूरी संभावना है। आने वाले महीने पंचायत स्तर पर होने वाले परिवर्तनों के लिए निर्णायक साबित होंगे।

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