इस संबंध में उप सचिव आनंद कुमार सिंह ने आदेश जारी करते हुए कहा कि स्थानांतरण प्रशासनिक आवश्यकता के आधार पर लिया जाने वाला निर्णय है, न कि किसी शिक्षक का व्यक्तिगत अधिकार। इसके तहत शिक्षक का स्थानांतरण उसी जिले या क्षेत्र में होगा, जैसा कि पहले से लागू स्थानांतरण नियमावली में तय है।
मुख्यमंत्री कार्यालय से प्राप्त प्रकरण की समीक्षा के बाद विभाग ने यह स्पष्ट किया कि मनमाने ढंग से या नियमों के बाहर किसी शिक्षक का स्थानांतरण नहीं किया जाएगा। इस निर्णय के बाद परिषदीय शिक्षकों में फैली असमंजस की स्थिति खत्म हो गई है और सभी शिक्षक अब अपने स्थानांतरण के मामले में भरोसा रख सकते हैं।
आपको बता दें की प्रदेश के शिक्षकों के लिए यह आदेश एक स्पष्ट संकेत है कि भविष्य में सभी स्थानांतरण प्रक्रियाएँ पारदर्शी और नियमों के अनुरूप ही होंगी। इससे शिक्षा व्यवस्था में स्थिरता आएगी और शिक्षक भी अपने पेशेवर कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।
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