सरकारी और प्राइवेट कर्मचारियों के लिए 1 बड़ी खबर

नई दिल्ली। कर्मचारी कल्याण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है ग्रेच्युटी, जो लंबे समय तक सेवा देने वाले कर्मचारियों को उनके योगदान के लिए एकमुश्त राशि के रूप में दी जाती है। यह भुगतान ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 के तहत होता है और पहले आम तौर पर पांच साल की लगातार सेवा पूरी करने के बाद कर्मचारियों को मिलता था। ध्यान देने वाली बात यह है कि यह सेवा केवल एक ही कंपनी में मान्य होती है; अलग-अलग कंपनियों में काम करने का कुल अनुभव इस गणना में नहीं आता।

साथ ही, यह नियम केवल उन कंपनियों पर लागू होता है जिनमें कम से कम 10 कर्मचारी कार्यरत हों। अगर कोई कर्मचारी 5-दिन काम करने वाले ऑफिस में है, तो 4 साल और 190 दिन की सेवा पर ग्रेच्युटी का हक बन जाता है। वहीं, 6-दिन कार्य सप्ताह में यह अवधि 4 साल और 240 दिन होती है।

किन परिस्थितियों में 5 साल की बाध्यता लागू नहीं होती?

कुछ गंभीर परिस्थितियों में पांच साल की शर्त लागू नहीं होती। उदाहरण के लिए: कर्मचारी की सेवा के दौरान मौत हो जाए। कर्मचारी गंभीर बीमारी या स्थायी दुर्घटना से विकलांग हो जाए। ऐसी स्थिति में ग्रेच्युटी तुरंत प्रदान की जाती है, जो कर्मचारी के नामांकित व्यक्ति या कानूनी वारिस को मिलती है। यह कदम सरकार ने कर्मचारियों और उनके परिवारों को अचानक वित्तीय संकट से बचाने के लिए उठाया है।

अब सिर्फ 1 साल में ग्रेच्युटी का हक

सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के तहत बड़े बदलाव 21 नवंबर 2025 से लागू होंगे। इसके अनुसार, फिक्स्ड-टर्म या कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को केवल एक साल की लगातार सेवा के बाद ग्रेच्युटी का हक मिलेगा। यह बदलाव उन कर्मचारियों के लिए राहत है जो लंबे समय तक कंपनी में काम करने के बावजूद स्थायी नियुक्ति का इंतजार कर रहे थे। मीडिया इंडस्ट्री में वर्किंग जर्नलिस्ट्स Act, 1955 के तहत पत्रकारों को तीन साल की सेवा पूरी होने पर ग्रेच्युटी का हक मिलता है, जो अन्य पेशों की तुलना में अतिरिक्त लाभ प्रदान करता है।

ग्रेच्युटी का गणना फॉर्मूला और 50% बेसिक पे नियम

सोशल सिक्योरिटी कोड के तहत यह भी तय किया गया है कि आपकी कुल CTC में बेसिक + डीए कम से कम 50% होना चाहिए। इससे कंपनियों को सैलरी स्ट्रक्चर बदलना होगा और कर्मचारियों की ग्रेच्युटी की राशि बढ़ने की संभावना है। यानी नौकरी की लंबाई जितनी ज्यादा होगी और बेसिक वेतन जितना अधिक, ग्रेच्युटी उतनी ही बड़ी होगी।

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