योजना का उद्देश्य और महत्व
राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2025 में राष्ट्रीय मखाना बोर्ड का गठन किया गया था, जिसके तहत मखाना उत्पादन को देश के दस राज्यों में बढ़ावा देने की योजना बनाई गई थी। उत्तर प्रदेश भी इसमें शामिल है। राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 से इसे उद्यान विभाग के माध्यम से लागू करने का निर्णय लिया।
राज्य मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने योजना का शुभारंभ करते हुए कहा कि इसका लक्ष्य मखाना उत्पादन को बढ़ावा देकर किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करना और राज्य में उच्च गुणवत्ता वाली फसल की खेती को प्रोत्साहित करना है।
योजना में क्या होगा खास
योजना के तहत राज्य में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे: मखाना खेती के लिए तालाबों का निर्माण, किसानों को विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम, प्रदर्शनियां, वर्कशॉप और बायर-सेलर मीट, अंतरराष्ट्रीय ट्रेड फेयर में मखाना उत्पादों का प्रदर्शन, जिला और राज्य स्तर पर सेमिनार आयोजित करना, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर मखाना की स्थापना। इन सभी गतिविधियों के लिए 158 लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान की गई है।
उत्पादन, प्रोसेसिंग और बाजार पर ध्यान
योजना में मखाना की खेती के विस्तार के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण उत्पादन, प्रोसेसिंग और बाजार उपलब्धता पर विशेष जोर दिया जाएगा। मंत्री दिनेश प्रताप सिंह के अनुसार, मखाना (Fox Nut) अपने औषधीय गुणों और उच्च पोषण मूल्य के कारण आज सुपरफूड के रूप में जाना जाता है। उत्तर प्रदेश की जलवायु और जल संसाधन मखाना के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए अनुकूल हैं।
इस योजना के केंद्रित जिले और संभावित लाभ
पूर्वी और तराई क्षेत्र के कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, बहराइच, बलिया, महाराजगंज, बस्ती और वाराणसी को मखाना उत्पादन के लिए उपयुक्त माना गया है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले वर्षों में यह योजना किसानों के लिए नई आय का स्रोत बनेगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगी। साथ ही, उत्पादन और निर्यात से जुड़े नए रोजगार अवसर पैदा होंगे।

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