क्यों लिया गया यह फैसला?
अब तक कृषि भूखंडों को आवासीय श्रेणी में बदलने के लिए विकास प्राधिकरणों को हर बार प्रस्ताव शासन को भेजना पड़ता था। फाइलों के लंबा समय अटकने से नई टाउनशिप परियोजनाओं में देरी हो रही थी। उच्चस्तरीय बैठकों में इस बात पर सहमति बनी कि प्रस्ताव बार-बार शासन भेजने से अनावश्यक विलंब हो रहा था। आवासीय योजनाओं का विकास तेज़ी से नहीं हो पा रहा था। ज़मीन प्राप्त होने के बावजूद प्राधिकरण कार्य प्रारंभ नहीं कर पा रहे थे। इसलिए सरकार ने प्राधिकरणों को सीधी स्वीकृति देने का अधिकार सौंप दिया है।
क्या बदला है नई व्यवस्था में?
नई व्यवस्था के अनुसार विकास प्राधिकरण अपनी बोर्ड बैठक में ही कृषि भूमि को आवासीय भूमि में परिवर्तित करने का निर्णय ले सकेंगे। शासन को अनुमति भेजने की बाध्यता खत्म हो गई है। निर्णय को उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम 1973 की धारा 13 के तहत मान्य किया जाएगा। विशेष सचिव आवास, राजेश कुमार राय द्वारा इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया गया है।
किन शहरों में लागू होगी यह छूट?
आवास विभाग पहले ही कई शहरों में मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण योजना के अंतर्गत नई आवासीय परियोजनाओं को मंजूरी दे चुका है। इनमें शामिल हैं: गोरखपुर, अलीगढ़, आगरा, बरेली, झांसी, अयोध्या, मेरठ, वाराणसी, मुरादाबाद, कानपुर, सहारनपुर, मथुरा-वृंदावन, फिरोजाबाद-शिकोहाबाद, लखनऊ, बुलंदशहर-खुर्जा, बांदा, गाजियाबाद, हापुड़-पिलखुआ, बागपत-खेकड़ा और रामपुर। अन्य विकास प्राधिकरणों में भी जल्द ही योजनाओं को मंजूरी दी जाएगी।
अन्य मामलों में पुरानी व्यवस्था जारी रहेगी
यह छूट केवल मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण योजना के अंतर्गत आने वाली आवासीय परियोजनाओं पर लागू होगी। इसके अलावा भूमि उपयोग परिवर्तन के अन्य प्रकरणों में पूर्ववत शासन की अनुमति आवश्यक रहेगी।
.png)
0 comments:
Post a Comment