बिहार सरकार ने राज्य के लाखों रैयतों को बड़ी राहत देते हुए ‘बदलैन जमीन’ को कानूनी मान्यता दे दी है। भूमि सर्वेक्षण 2025 के तहत अब उन जमीनों का भी सर्वे किया जाएगा, जो दो रैयतों ने आपसी सहमति से बदली हैं और वर्षों से बिना विवाद के एक-दूसरे की जमीन पर कब्जा बनाए हुए हैं। सरकार की इस नई पहल से राज्य में वर्षों पुराने भूमि विवादों का स्थायी समाधान निकलने की उम्मीद जताई जा रही है।
सरकार ने हाल ही में ‘बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त (संशोधन) नियमावली 2025’ को मंजूरी दी है। इस नियमावली के तहत बदलैन से प्राप्त जमीन को अब वैध माना जाएगा, बशर्ते कि दोनों पक्ष सर्वेक्षण के समय लिखित सहमति दें और उस पर वर्षों से शांतिपूर्वक कब्जा हो।
कैसे होगा बदलैन जमीन का सर्वे
सर्वेक्षण के दौरान यदि यह प्रमाणित हो जाता है कि दो किसानों ने आपसी सहमति से एक-दूसरे की भूमि का उपयोग बदल लिया है और वर्तमान में बिना किसी विवाद के वे उस जमीन पर काबिज हैं, तो: दोनों रैयतों की लिखित सहमति ली जाएगी। जमीन की वास्तविक स्थिति दर्ज की जाएगी। जमीन के वास्तविक दखलकार के नाम पर खाता खोला जाएगा। भू-अधिकार अभिलेख में उसका नाम दर्ज किया जाएगा। यह प्रक्रिया न सिर्फ भूमि को कानूनी दर्जा देगी, बल्कि रैयत को उसका अधिकार पत्र भी उपलब्ध कराएगी।
अब मिल सकेगा ऋण और रजिस्ट्री की सुविधा
पहले के वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में बिना रजिस्ट्री के मौखिक बदलैन का चलन आम था। जमीन का आपसी लेनदेन सुविधा के अनुसार कर लिया जाता था, लेकिन इस पर कोई कानूनी अधिकार नहीं होता था। न ही ऐसी भूमि की खरीद-बिक्री संभव थी और न ही बैंक ऋण मिल सकता था। अब सरकार ने यह मान्यता दी है तो बहुत फायदा होगा। जमीन की वैल्यू भी बढ़ेगी और उस पर बैंक से कर्ज भी लिया जा सकेगा।”
भूमि विवादों को सुलझाने की दिशा में बड़ा कदम
दरअसल इस संशोधित नियमावली की अधिसूचना जारी होने के बाद हजारों ऐसे मामलों में समाधान की गुंजाइश बनेगी, जहां लंबे समय से कब्जा तो है, पर रिकॉर्ड में नाम नहीं है। अब ऐसे रैयतों को उनका वास्तविक हक मिल सकेगा। भूमि रिकार्ड की सटीकता बढ़ेगी और कानूनी उलझनों से छुटकारा मिलेगा।
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