बजट में हुआ बड़ा इजाफा
सरकार ने इस योजना के लिए वर्ष 2025-26 के बजट में 4500 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 में यह राशि 2000 करोड़ रुपये थी। यानी बजट को दोगुना से भी अधिक बढ़ा दिया गया है, जिससे योजना के तेज क्रियान्वयन की उम्मीद की जा रही है। बता दें की पहले सामान्य गांवों में ग्रामीणों को 10% और अनुसूचित जाति/जनजाति बहुल गांवों में 5% सामुदायिक अंशदान देना पड़ता था, लेकिन अब यह जिम्मेदारी सरकार ने खुद उठाई है।
मासिक 50 रुपये ‘वॉटर टैरिफ’
हालांकि नल कनेक्शन की स्थापना का खर्च सरकार उठाएगी, लेकिन ग्रामीणों को नल की देखभाल और संचालन के लिए हर महीने अपनी ग्राम पंचायत को 50 रुपये ‘वॉटर टैरिफ’ के रूप में देने होंगे। इस राशि का इस्तेमाल जल स्रोतों की मरम्मत और जलापूर्ति तंत्र की देखरेख में किया जाएगा।
जल संकट से जूझते गांवों में आएगी राहत
योगी सरकार के इस फैसले को गांवों में जल सुविधा को लेकर एक ऐतिहासिक पहल माना जा रहा है। इससे न केवल ग्रामीणों का आर्थिक बोझ घटेगा, बल्कि महिलाओं को दूर-दराज से पानी लाने की परेशानी से भी मुक्ति मिलेगी। साथ ही, स्वच्छ जल की उपलब्धता से बीमारियों पर भी नियंत्रण पाया जा सकेगा।
सरकार का लक्ष्य – ‘हर घर जल, हर घर मुस्कान’
नमामि गंगे और जलापूर्ति विभाग के अपर मुख्य सचिव अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर यह कदम उठाया गया है ताकि हर ग्रामीण परिवार को स्वच्छ पेयजल मिल सके और कोई भी परिवार आर्थिक तंगी के कारण इस योजना से वंचित न रह जाए।
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