यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रवीन कुमार गिरी की खंडपीठ ने बेसिक शिक्षा परिषद की दर्जनों विशेष अपीलों को खारिज करते हुए सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पांच वर्ष या अधिक का अनुभव रखने वाले सहायक अध्यापक, जो वास्तविक रूप से विद्यालयों में हेड मास्टर का कार्य कर रहे हैं, उन्हें उसी अनुरूप वेतनमान दिया जाए।
तीन वर्ष पूर्व तक ही मिलेगा एरियर
हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे शिक्षकों को बकाया वेतन (एरियर) का भुगतान सिर्फ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने की तिथि से पूर्व तीन वर्षों तक ही किया जाएगा। इससे पहले की अवधि के लिए वेतन भुगतान की पात्रता नहीं मानी जाएगी।
वरिष्ठ अध्यापकों को सौंपी जाए हेड मास्टर की जिम्मेदारी
कोर्ट ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया कि हेड मास्टर की जिम्मेदारी केवल वरिष्ठ और अनुभवी सहायक अध्यापकों को ही दी जाए, जिससे योग्य अध्यापकों को ही नेतृत्व का अवसर मिले और स्कूलों का संचालन प्रभावी ढंग से हो।
पृष्ठभूमि में एकल पीठ का फैसला भी आया था समर्थन में
यह फैसला बेसिक शिक्षा परिषद की उस विशेष अपील पर आया है जिसमें परिषद ने एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी थी। एकल पीठ ने पहले ही कहा था कि जिन सहायक अध्यापकों को हेड मास्टर का कार्य सौंपा गया है, उन्हें उसी के अनुरूप वेतन मिलना चाहिए। विशेष रूप से उन अध्यापकों को, जो 2014 से या उससे पूर्व से यह जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
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