भारत समेत 4 देशों के पास है 'S-400' डिफेंस सिस्टम

नई दिल्ली: भारत की सैन्य शक्ति को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाला रूस निर्मित S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम अब देश की सुरक्षा रणनीति का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। इसे ‘भारत का सुदर्शन चक्र’ कहा जा रहा है, जो दुश्मन की किसी भी हवाई गतिविधि को महज कुछ ही सेकंड में पहचानकर खत्म करने की क्षमता रखता है। इसकी तैनाती से भारत की हवाई सुरक्षा प्रणाली में अभूतपूर्व मजबूती आई है।

क्या है S-400 एयर डिफेंस सिस्टम?

S-400 ट्रायम्फ रूस द्वारा विकसित एक अत्याधुनिक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली (Surface-to-Air Missile System) है। यह प्रणाली ड्रोन, लड़ाकू विमान, क्रूज़ मिसाइल, बैलिस्टिक मिसाइल और यहां तक कि दुश्मन के रडार तक को ट्रैक कर उन्हें नष्ट करने में सक्षम है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है मल्टी-टारगेट एंगेजमेंट की क्षमता—यह एक साथ 80 लक्ष्यों को ट्रैक कर उन पर कार्रवाई कर सकता है।

इसकी रडार रेंज 600 किलोमीटर तक है और यह विभिन्न प्रकार की मिसाइलों से लैस है, जो 40 से लेकर 400 किलोमीटर तक के हवाई लक्ष्यों को भेद सकती हैं। इतनी व्यापक रेंज और एक साथ कई लक्ष्यों पर हमला करने की क्षमता इसे दुनिया की सबसे खतरनाक डिफेंस सिस्टम्स में शुमार करती है।

दुनिया में चुनिंदा देशों के पास ही है यह सिस्टम

अब तक केवल चार देशों के पास ही यह अत्याधुनिक सिस्टम मौजूद है: रूस (निर्माता देश), चीन, भारत और तुर्की। बता दें की इस सिस्टम को रूस के द्वारा बनाया गया हैं और रूस ने दुनिया के इन चार देशों को इस मिसाइल सिस्टम बेचा हैं।

भारत ने कैसे हासिल किया S-400?

भारत ने साल 2018 में रूस के साथ 5.4 अरब डॉलर (लगभग 40 हजार करोड़ रुपये) की एक बड़ी रक्षा डील के तहत पांच S-400 यूनिट्स खरीदने का समझौता किया था। यह उस समय की भारत की सबसे महंगी और रणनीतिक रूप से अहम रक्षा डील्स में से एक थी। अब तक भारत को तीन यूनिट्स की डिलीवरी मिल चुकी है, जबकि बाकी दो की प्रक्रिया जारी है।

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