यूपी में रेस्टोरेंट-ढाबा-दुकान के लिए नया नियम लागू

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में खाद्य कारोबार को सुरक्षित, पारदर्शी और नियमबद्ध बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अब प्रदेश में कोई भी रेस्टोरेंट, ढाबा, मिठाई की दुकान, फास्ट फूड सेंटर, ठेला या सड़क किनारे फूड स्टॉल बिना रजिस्ट्रेशन या लाइसेंस के संचालन नहीं कर पाएगा।

31 मई तक का अल्टीमेटम

खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (FSDA) द्वारा चलाए जा रहे इस विशेष अभियान की अवधि अब बढ़ाकर 31 मई 2025 कर दी गई है। इस दौरान प्रदेशभर के खाद्य सुरक्षा अधिकारी जिला स्तर पर विशेष कैंपों के माध्यम से पंजीकरण और लाइसेंस की प्रक्रिया को तेज़ी से पूरा करवा रहे हैं।

हर खाद्य व्यवसाय होगा शामिल

इस अभियान के दायरे में हर तरह का खाद्य व्यवसाय लाया गया है — चाहे वह बड़ा रेस्टोरेंट हो, मोहल्ले की चाय की दुकान, नमकीन/मिठाई की यूनिट, या फुटपाथ पर खाने-पीने का सामान बेचने वाला ठेला। सरकार का स्पष्ट संदेश है कि "बिना रजिस्ट्रेशन कोई कारोबार नहीं!"

क्यों जरूरी है फूड लाइसेंस?

फूड लाइसेंस की अनिवार्यता खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम (FSSAI) के तहत आती है। यह सुनिश्चित करता है कि उपभोक्ताओं को सुरक्षित, गुणवत्तापूर्ण और मिलावट रहित खाद्य उत्पाद मिलें। सरकार को यह रिपोर्ट मिली थी कि बड़ी संख्या में छोटे-बड़े फूड कारोबारी अब भी बिना लाइसेंस काम कर रहे हैं, जिससे जनता के स्वास्थ्य पर जोखिम बना हुआ है।

CM योगी का सख्त संदेश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को आदेश दिया है कि हर जिले में अभियान की दैनिक निगरानी हो और एक भी अवैध खाद्य व्यापार न चलने पाए। उन्होंने कहा कि यह न केवल उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए जरूरी है, बल्कि फूड इंडस्ट्री को कानूनी दायरे में लाकर उसे प्रोफेशनल और सुव्यवस्थित बनाना भी सरकार का लक्ष्य है।

उल्लंघन पर होगी कठोर कार्रवाई

खाद्य सुरक्षा विभाग ने चेतावनी दी है कि 31 मई के बाद अगर कोई भी खाद्य व्यवसाय बिना वैध लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन के पाया गया, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसमें दुकान सील करना, खाद्य सामग्री जब्त करना और भारी जुर्माना शामिल है।

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