मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि इस योजना का उद्देश्य सिर्फ जरूरतमंदों की सहायता करना नहीं है, बल्कि इसके ज़रिए गाय सेवा को बढ़ावा देना और ग्रामीण स्तर पर पोषण एवं स्वावलंबन को भी मजबूत बनाना है। सरकार का मानना है कि अगर हर गरीब परिवार के पास एक दुधारू गाय होगी, तो उन्हें न केवल ताजा दूध मिलेगा, बल्कि वे दूध बेचकर आय का स्रोत भी विकसित कर सकेंगे।
राज्य सरकार पहले से ही निराश्रित गोवंश के संरक्षण और संवर्धन के लिए गोशालाओं का संचालन कर रही है, और अब यह कदम पशुपालन को गांव-गांव तक पहुंचाने का प्रयास माना जा रहा है। इस योजना के तहत सबसे पहले उन जिलों में वितरण किया जाएगा, जहाँ पशुधन की उपलब्धता कम है और पोषण की समस्या अधिक देखी गई है।
पशुपालन विभाग ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है और लाभार्थियों की सूची तैयार की जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि गायों के साथ उनके चारे और देखभाल से जुड़ी बुनियादी जानकारी भी लाभार्थियों को दी जाएगी ताकि वे इस संसाधन का सही तरीके से उपयोग कर सकें।
समाज के सबसे पिछड़े तबकों को केंद्र में रखकर बनाई गई इस योजना को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है, जिससे ना केवल पशुपालन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि दुग्ध उत्पादन और पोषण स्तर में भी सुधार की उम्मीद है।
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