शिक्षा विभाग ने यह फैसला स्कूलों में पीटीएम की घटती प्रभावशीलता को देखते हुए लिया है। प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के अनुसार, अब तक स्कूलों में पीटीएम अलग-अलग तरीके से हो रही थी, जिससे इसके उद्देश्यों की प्राप्ति बाधित हो रही थी। वार्षिक कैलेंडर के माध्यम से एक समान प्रक्रिया को अपनाकर इसे अधिक उद्देश्यपूर्ण और भागीदारीपूर्ण बनाने की योजना है।
हर महीने अलग थीम, छात्रों के सर्वांगीण विकास
इस बार पीटीएम को केवल संवाद तक सीमित न रखते हुए प्रत्येक माह के लिए एक विशेष थीम तय की गई है। इन थीमों का मकसद अभिभावकों को शिक्षा के विविध पहलुओं से जोड़ना है, जैसे—छात्रों की उपस्थिति, स्वास्थ्य, पोषण, खेल, व्यावसायिक कौशल और परीक्षा की तैयारी।
यह है वार्षिक पीटीएम कैलेंडर (2025-26):
31 मई: पढ़ेंगे, बढ़ेंगे और सीखेंगे हम
28 जून: उपस्थिति और सरकारी योजनाएं
26 जुलाई: व्यावसायिक कौशल, स्वास्थ्य, स्वच्छता व पोषण
30 अगस्त: खेलो और सीखो
27 सितंबर: निपुण बनेगा बिहार हमारा
25 अक्टूबर: पीटीएम नहीं (छठ व दीपावली अवकाश)
29 नवंबर: हर बच्चा होगा अब स्कूल का हिस्सा
24 दिसंबर: हरेक बच्चा श्रेष्ठ बच्चा
31 जनवरी: हम और आप मिल कर करेंगे बच्चों का समग्र विकास
28 फरवरी: परीक्षा की तैयारी, हमारी जिम्मेदारी
29 मार्च: प्रवेश से प्रगति तक – विद्यालय और अभिभावक साथ-साथ
सरकार का उद्देश्य: सहभागिता से शिक्षा में सुधार
शिक्षा विभाग का मानना है कि जब अभिभावक और शिक्षक मिलकर किसी बच्चे के विकास के लिए काम करते हैं, तब उसके प्रदर्शन में सकारात्मक बदलाव आता है। इसी सोच के तहत यह वार्षिक पीटीएम कैलेंडर विकसित किया गया है। अब देखना होगा कि यह पहल सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने में कितनी प्रभावी साबित होती है।
0 comments:
Post a Comment