घटना स्थल पर ही पंजीकरण अनिवार्य
राज्य के निदेशक एवं संयुक्त महारजिस्ट्रार (सीआरएस) के अनुसार अब हर जन्म और मृत्यु का पंजीकरण उसी स्थान पर अनिवार्य होगा, जहां वह घटना घटी है। इसके लिए सरकार ने नगर निगम, नगर पालिका, ग्राम पंचायत स्तर पर संबंधित अधिकारियों को रजिस्ट्रार नियुक्त किया है। इनमें नगर निगमों के जोनल अधिकारी, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों के अधिशासी अधिकारी, सरकारी अस्पतालों के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, स्वास्थ्य उपकेंद्रों की एएनएम और ग्राम पंचायतों के ग्राम विकास अधिकारी शामिल हैं।
प्राइवेट अस्पताल भी बने सूचनादाता
नई व्यवस्था के तहत प्राइवेट अस्पतालों को भी जन्म और मृत्यु की सूचना देने वाला अधिकृत "सूचनादाता" घोषित किया गया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि निजी स्वास्थ्य संस्थानों में जन्मी या मृत व्यक्तियों की जानकारी भी समय से सरकारी अभिलेखों में दर्ज हो सके।
ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य
डिजिटलीकरण की ओर बढ़ते कदम के तहत सरकार ने ऑनलाइन पंजीकरण को अनिवार्य कर दिया है। नागरिक अब घर बैठे भी जन्म और मृत्यु का पंजीकरण करवा सकते हैं, जिससे व्यवस्था अधिक पारदर्शी और सुलभ हो गई है।
शुल्क और समय सीमा
सरकार ने पंजीकरण के लिए 21 दिन की समय सीमा बिना किसी शुल्क के निर्धारित की है। अगर 21 दिन के भीतर पंजीकरण नहीं होता, तो देरी के अनुसार निम्नलिखित शुल्क और अनुमतियां लागू होंगी: 22 से 30 दिन तक ₹2 का विलंब शुल्क और रजिस्ट्रार की अनुमति अनिवार्य, 31 दिन से 1 वर्ष तक शहरी क्षेत्र में: मुख्य चिकित्सा अधिकारी की अनुमति, ग्रामीण क्षेत्र में: जिला पंचायत राज अधिकारी की अनुमति और शुल्क ₹5, जबकि एक वर्ष से अधिक विलंब होने पर प्रक्रिया और भी जटिल हो सकती है, जिसमें न्यायिक प्रमाणपत्र की आवश्यकता पड़ सकती है।
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