बता दें की समाज कल्याण विभाग की टीमें गांव से लेकर शहर तक घर-घर जाकर यह जांच कर रही हैं कि पेंशन पाने वाले बुजुर्ग वास्तव में जीवित और योजना के लिए पात्र हैं या नहीं। इस अभियान के दौरान ऐसे कई मामले सामने आ सकते हैं, जिनमें मृतक या अयोग्य व्यक्ति पेंशन प्राप्त कर रहे हैं।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अलग-अलग जिम्मेदारी
प्रदेश के सभी जिलों के ग्रामीण इलाकों में इस कार्य की जिम्मेदारी ब्लॉक विकास अधिकारियों (BDO) को सौंपी गई है। वहीं, शहरी क्षेत्रों में उप जिला मजिस्ट्रेट (SDM) और नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी लाभार्थियों का सत्यापन करवा रहे हैं। सत्यापन के दौरान लाभार्थियों के आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, और अन्य जरूरी दस्तावेजों की भी जांच की जा रही है। विभाग का उद्देश्य है कि केवल वही लोग पेंशन का लाभ उठाएं जो वाकई में सभी मापदंडों पर खरे उतरते हों।
अपात्रों पर हो सकती है कार्रवाई
समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर किसी भी लाभार्थी को अपात्र पाया गया या झूठे दस्तावेजों के आधार पर पेंशन लेते हुए पकड़ा गया, तो पेंशन तुरंत रोक दी जाएगी और वसूली की कार्रवाई भी हो सकती है।
सरकार की मंशा: पारदर्शिता और सही वितरण
राज्य सरकार का यह कदम पेंशन योजना में पारदर्शिता लाने और फर्जीवाड़े को रोकने के प्रयास के तहत उठाया गया है। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के सत्यापन से सरकारी योजनाओं में वास्तविक लाभार्थियों तक सहायता पहुंचाना आसान होगा।
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