यूपी में जमीन की 'रजिस्ट्री' से पहले होगा ये 4 काम!

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार अब जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करने जा रही है। राज्य में संपत्ति के फर्जी बैनामों और धोखाधड़ी की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए योगी सरकार ने रजिस्ट्री से पहले मालिकाना हक के सत्यापन की व्यवस्था लागू करने की तैयारी कर ली है। इसके तहत रजिस्ट्री कराने से पहले यह पुष्टि की जाएगी कि जिस व्यक्ति के नाम पर दस्तावेज बन रहे हैं, वह वास्तव में संपत्ति का मालिक है या नहीं।

1 .रजिस्ट्री से पहले अब होगी पूरी जांच

वर्तमान में यूपी में रजिस्ट्री के समय संपत्ति के स्वामित्व की जांच की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है। इसी कमजोरी का फायदा उठाकर जालसाज फर्जी दस्तावेजों और पहचान पत्रों के जरिए एक ही संपत्ति को कई बार बेच देते हैं। अब सरकार इस प्रक्रिया में बदलाव लाते हुए रजिस्ट्री से पहले संपत्ति और उसके मालिक की जांच करवाने जा रही है।

2 .आधार-पैन लिंकिंग और सैटेलाइट फोटो

सरकार की योजना है कि रजिस्ट्री के समय आधार और पैन कार्ड को लिंक करना अनिवार्य किया जाए। इससे पहचान को लेकर की जा रही धोखाधड़ी पर लगाम लगेगी। साथ ही, संपत्ति की सैटेलाइट इमेज को रजिस्ट्री दस्तावेज में शामिल करने पर भी विचार चल रहा है ताकि जमीन की वास्तविक स्थिति और स्थान का प्रमाण मौजूद रहे।

3 .खतौनी में नाम दर्ज कराने की प्रक्रिया

रजिस्ट्री के बाद स्वामित्व को खतौनी (भूलेख) में दर्ज कराने की प्रक्रिया को स्वचालित और त्वरित बनाने की दिशा में भी काम हो रहा है। इसके लिए सरकार ने एक विशेष समिति का गठन किया है, जो अन्य राज्यों—जैसे हरियाणा मॉडल—का अध्ययन करके अपनी रिपोर्ट विभागीय मंत्री को सौंपेगी। हरियाणा में स्टांप और राजस्व विभाग एक ही है, इसलिए रजिस्ट्री के तुरंत बाद स्वामित्व खतौनी में दर्ज हो जाता है।

4 .रजिस्ट्री और राजस्व में तालमेल की तैयारी

राज्य सरकार अब इस बात पर जोर दे रही है कि रजिस्ट्री और राजस्व विभाग के बीच सीधा तकनीकी तालमेल स्थापित हो, जिससे रजिस्ट्री होते ही संबंधित जानकारी भूलेख पोर्टल पर स्वतः अपडेट हो जाए। इससे न सिर्फ पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि संपत्ति विवादों और कोर्ट केसों में भी भारी कमी आएगी।

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