दुनिया की बड़ी ताकतें अब 6th जेनरेशन फाइटर जेट्स के विकास में एक नई स्पर्धा में उतर चुकी हैं। जहां 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स ने युद्धक क्षमताओं में क्रांति ला दी थी, वहीं अब 6th जनरेशन फाइटर जेट्स एक ऐसे युग की शुरुआत कर रहे हैं जिसमें AI, स्वार्म ड्रोन, लेजर हथियार और बिना पायलट उड़ान जैसे अत्याधुनिक फीचर्स शामिल होंगे।
1 .संयुक्त राज्य अमेरिका:
अमेरिका का 6th जनरेशन प्रोग्राम सबसे उन्नत स्टेज में माना जा रहा है। इसका उद्देश्य F-22 और F-35 जैसे फाइटर जेट्स की जगह लेना है। इस प्रोग्राम में क्रू और अनक्रू संस्करण, AI को-पायलट, हाई-पावर लेजर और स्टील्थ तकनीक जैसे इनोवेशन शामिल हैं। अमेरिकी एयर फोर्स का दावा है कि यह जेट 2030 तक ऑपरेशनल हो सकता है।
2 .चीन का प्रोजेक्ट: नई पीढ़ी की तैयारी
चीन भी अपने 6th जनरेशन फाइटर जेट्स पर काम कर रहा है, हालांकि इसकी अधिकतर जानकारी गोपनीय है। चीन ने पहले ही J-20 जैसे 5th जनरेशन फाइटर लॉन्च किए हैं और अब नई तकनीकों के साथ AI और स्टील्थ फीचर्स वाले फाइटर्स पर फोकस कर रहा है। 2035 तक इसे सर्विस में लाने की योजना है।
3 .रूस: MiG और Sukhoi की नई परियोजना
रूस भी 6th जनरेशन एयरक्राफ्ट पर रिसर्च कर रहा है, जिसमें हाइपरसोनिक गति, लेजर हथियार और पायलटलेस ऑपरेशन को प्राथमिकता दी जा रही है। हालाँकि यूक्रेन युद्ध के बाद आर्थिक चुनौतियाँ इस प्रोजेक्ट की गति को प्रभावित कर रही हैं।
4 .ब्रिटेन, जापान और इटली का 6th जनरेशन प्रोग्राम
ब्रिटेन, जापान और इटली मिलकर "GCAP" (Global Combat Air Programme) के तहत "Tempest" नामक 6th जेनरेशन फाइटर जेट विकसित कर रहे हैं। यह जेट फ्यूचरिस्टिक डिजाइन, मल्टी-सेंसर इंटीग्रेशन और AI-ड्रिवन कॉम्बैट सिस्टम से लैस होगा। यह यूरोपीय सहयोग का बेहतरीन उदाहरण बनकर उभर रहा है।
5 .फ्रांस, जर्मनी और स्पेन का FCAS (Future Combat Air System)
यह यूरोपियन यूनियन का मेगाप्रोजेक्ट है जिसमें Dassault Aviation और Airbus Defense जैसी कंपनियाँ शामिल हैं। इस जेट को एक "सिस्टम ऑफ सिस्टम्स" के रूप में डिजाइन किया जा रहा है जिसमें मुख्य जेट के साथ ऑटोनॉमस ड्रोन (Remote Carriers) भी शामिल होंगे।
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