जिले में वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत कुल 1.44 लाख लाभार्थी पंजीकृत थे। अप्रैल 2025 से शुरू हुए सत्यापन अभियान की रिपोर्ट 25 मई को सामने आई। रिपोर्ट में 3,912 लाभार्थी मृतक पाए गए, जिनके बैंक खातों में अब तक पेंशन की किश्तें लगातार जाती रहीं।
कैसे हुआ खुलासा?
समाज कल्याण विभाग वर्ष में केवल एक बार पेंशन लाभार्थियों का सत्यापन करता है। इसका अर्थ यह है कि एक बार अगर कोई व्यक्ति पेंशन सूची में शामिल हो गया, तो उसके जीवित रहने की पुष्टि सालभर नहीं होती। इस प्रक्रिया की ढील के कारण कई मृतकों के बैंक खातों में लगातार पेंशन भेजी जाती रही।
अब क्या होगी कार्रवाई?
ग्राम पंचायत सचिवों की ओर से मृतकों की सूची सौंप दी गई है। अब अगला कदम इन मृतकों को मिली पेंशन की रिकवरी करना है। इसके लिए प्रत्येक लाभार्थी के खातों की जांच की जाएगी कि किसे कितनी किश्तें मिलीं। इसके बाद बैंक खातों से वसूली की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
सरकारी तंत्र पर सवाल
इस पूरे मामले ने समाज कल्याण विभाग और स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिन लाभार्थियों की मृत्यु हो चुकी थी, उनके पेंशन खातों में सरकारी धन ट्रांसफर होते रहना, न केवल संसाधनों की बर्बादी है बल्कि इससे जरूरतमंद जीवित बुजुर्गों का हक भी मारा जाता है।
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