यह लिंक एक्सप्रेसवे न केवल इटावा, फर्रुखाबाद और हरदोई जिलों के लिए विकास की रफ्तार बढ़ाएगा, बल्कि प्रदेश के तीन प्रमुख एक्सप्रेसवे बुन्देलखण्ड, आगरा-लखनऊ और गंगा एक्सप्रेसवे को एक साथ जोड़कर एक सशक्त एक्सप्रेसवे ग्रिड की नींव रखेगा।
क्या है लिंक एक्सप्रेसवे की खासियत?
प्रारंभिक बिंदु: कुदरैल, इटावा (जहां आगरा-लखनऊ और बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे मिलते हैं)
अंतिम बिंदु: सयाइजपुर, हरदोई (गंगा एक्सप्रेस-वे का हिस्सा)
लंबाई: लगभग 90.84 किलोमीटर
अनुमानित लागत: 7488.74 करोड़ रुपये
निर्माण अवधि: 548 दिन (लगभग 18 महीने)
सबसे महंगे रोड प्रोजेक्ट्स में से एक
इस परियोजना की लागत इसे उत्तर प्रदेश के सबसे महंगे सड़क परियोजनाओं में से एक बनाती है। एक किलोमीटर पर अनुमानित खर्च करीब 82 करोड़ रुपये है, जो पहले बने गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे की प्रति किलोमीटर लागत से भी अधिक है (गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे की लागत लगभग 80 करोड़ रुपये/किमी थी)। यह आंकड़ा दर्शाता है कि इस परियोजना में तकनीकी, भू-आधारित और संरचनात्मक रूप से बड़ी चुनौतियां हैं, जिनसे निपटने के लिए उन्नत इंफ्रास्ट्रक्चर समाधान अपनाए जाएंगे।
फर्रूखाबाद को मिलेगा सीधा लाभ
इस एक्सप्रेसवे के रास्ते में फर्रूखाबाद जिला स्थित है, जिसे सीधे तौर पर इसका सबसे अधिक लाभ मिलेगा। अब तक प्रदेश की बड़ी सड़कों और एक्सप्रेसवे नेटवर्क से कटे रहे इस जिले को नई राह मिलेगी। उद्योग, व्यापार और यातायात की दृष्टि से फर्रूखाबाद को राज्य के अन्य हिस्सों से जोड़ने के लिए यह परियोजना वरदान साबित हो सकती है।
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