यह छूट पहली बार 2018 में ईरान फ्रीडम एंड काउंटर-प्रोलिफरेशन एक्ट (IFCA) के तहत दी गई थी। हाल ही में जब अमेरिका ने इस छूट को समाप्त करने का संकेत दिया था, तो नई दिल्ली में चिंता बढ़ गई थी। लेकिन अब अमेरिका ने छूट का विस्तार कर भारत को बिना किसी तत्काल प्रतिबंध के पोर्ट संचालन जारी रखने की सुविधा दे दी है।
चाबहार पोर्ट का रणनीतिक महत्व
चाबहार पोर्ट ईरान के दक्षिण-पूर्वी तट पर गल्फ ऑफ ओमान के किनारे स्थित है और यह ईरान का एकमात्र महासागर से जुड़ा बंदरगाह है। यह भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच एक महत्वपूर्ण रणनीतिक मार्ग बन चुका है। चाबहार पोर्ट पाकिस्तान को बायपास करते हुए भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया से जोड़ता है। भारत ने इस मार्ग के जरिए अफगानिस्तान को मानवीय सहायता जैसे गेहूं और यूरिया की कई खेपें भेजी हैं।
निवेश और साझेदारी
मई 2024 में भारत और ईरान के बीच चाबहार पोर्ट को लेकर 10 साल का समझौता हुआ था। इस परियोजना में भारत ने अब तक शहीद बेहेश्ती टर्मिनल के विकास में 120 मिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है। इस निवेश के तहत आधुनिक उपकरणों की आपूर्ति, टर्मिनल अपग्रेड और इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) से कनेक्टिविटी सुनिश्चित की जा रही है।
भारत के लिए ‘गोल्डन गेट’
भारत चाबहार पोर्ट को “गोल्डन गेट” के रूप में देखता है। यह पोर्ट अफगान सीमा से लगभग 950 किलोमीटर दूर स्थित है और यह स्थल भारतीय महासागर के जरिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार से जोड़ने का एक अहम प्रवेशद्वार बनता जा रहा है। अमेरिका द्वारा छूट का विस्तार भारत-अमेरिका संबंधों में संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।

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