यह समझौता मॉस्को में संपन्न हुआ, जो भारत के नागरिक विमानन क्षेत्र के पुनरुत्थान की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर साबित हो सकता है। दशकों बाद पहली बार भारत अपने नागरिक विमानों के निर्माण में कदम रख रहा है। एक ऐसा क्षेत्र, जहां अब तक अमेरिका की बोइंग और यूरोप की एयरबस जैसी कंपनियों का एकछत्र राज रहा है।
क्या है सुखोई सुपरजेट-100?
‘सुखोई सुपरजेट-100’ एक ट्विन-इंजन रीजनल जेट है, जिसे छोटी दूरी की उड़ानों के लिए तैयार किया गया है। यह विमान पहले से ही दुनिया के कई देशों में उपयोग में है और इसके अब तक 200 से अधिक यूनिट्स बनाए जा चुके हैं। भारत में बनने के बाद यह विमान देश के भीतर उड़ान (UDAN) योजना के तहत छोटे शहरों को जोड़ने में अहम भूमिका निभा सकता है, जिससे हवाई यात्रा को और अधिक सुलभ और सस्ती बनाने में मदद मिलेगी।
भारत के नागरिक विमानन इतिहास में नई शुरुआत
यह सौदा भारत की आखिरी बड़ी नागरिक विमान परियोजना HAL AVRO HS-748 की याद दिलाता है, जिसे 1961 से 1988 के बीच निर्मित किया गया था। उस परियोजना के बाद भारत अपने अधिकांश वाणिज्यिक विमानों के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भर रहा है। वर्तमान में देश के लगभग 90% विमान बोइंग और एयरबस कंपनियों के हैं, जो वैश्विक बाजार में भी वर्चस्व बनाए हुए हैं।
‘मेक इन इंडिया’ और रोजगार सृजन की दिशा में बड़ा कदम
विशेषज्ञों का मानना है कि HAL–UAC का यह सहयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ नीति को नई ऊर्जा देगा। इससे भारत की घरेलू विनिर्माण क्षमता बढ़ेगी, उच्च तकनीक का स्थानांतरण संभव होगा और हजारों नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इसके साथ ही भारत विमानन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ठोस कदम रखेगा।

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