समयपालन को लेकर सख्त रुख
हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी अध्यापिका इंद्रा देवी (बांदा) और लीना सिंह चौहान (इटावा) की याचिका की सुनवाई के दौरान की। न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि ने कहा कि आजादी के बाद से अब तक सरकार शिक्षकों की उपस्थिति के लिए ठोस व्यवस्था नहीं बना सकी है। इस वजह से ग्रामीण इलाकों में छात्रों की शिक्षा पर सीधा असर पड़ रहा है।
तकनीकी माध्यम से उपस्थिति
कोर्ट ने सुझाव दिया कि आज के डिजिटल युग में शिक्षकों की हाजिरी को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दर्ज किया जा सकता है। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और लापरवाही पर तुरंत नियंत्रण संभव होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि कोई शिक्षक कभी-कभार 10 मिनट की देरी से आता है तो इसे मानवीय दृष्टिकोण से देखा जा सकता है, लेकिन यह आदत बनना स्वीकार्य नहीं होगा।
मुख्य सचिव की बैठक और अगली सुनवाई
कोर्ट को बताया गया कि इस मुद्दे पर मुख्य सचिव स्तर पर बैठक की जा रही है। इस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 10 नवंबर तय करते हुए सरकार से अब तक की गई कार्रवाइयों की रिपोर्ट मांगी है। वहीं, इस मामले में कोर्ट ने याचिकाकर्ता शिक्षिकाओं की पहली गलती को माफ करते हुए भविष्य में नियमित उपस्थिति दर्ज करने का आश्वासन स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने उनके खिलाफ की गई कार्यवाही को रद्द कर दिया है।

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