सट्टा बाजार का रुख एनडीए के पक्ष में
फलोदी सट्टा बाजार के सटोरियों के मुताबिक, इस बार भी बिहार में एनडीए की सरकार बनने की संभावना अधिक है। बाजार में लगाए जा रहे दांवों के अनुसार, एनडीए गठबंधन को 135 से 138 सीटें मिल सकती हैं। यह अनुमान कई राजनीतिक सर्वेक्षणों से कहीं ज्यादा है, जो अब तक कड़े मुकाबले का इशारा कर रहे थे।
दूसरी ओर, महागठबंधन को लेकर सटोरियों का अनुमान अपेक्षाकृत कमजोर दिख रहा है। उन्हें मात्र 93 से 96 सीटें मिलने की संभावना बताई जा रही है। दिलचस्प बात यह है कि सटोरियों ने अभी तक किसी विशेष प्रत्याशी की जीत या हार को लेकर कोई “रेट” या “भाव” घोषित नहीं किया है।
वोट वाइब सर्वे में उल्टा समीकरण
हालांकि सट्टा बाजार की यह भविष्यवाणी, हाल ही में आए वोट वाइब सर्वे से बिल्कुल विपरीत दिख रही है। उस सर्वे में महागठबंधन को बढ़त दी गई थी। जब लोगों से पूछा गया कि बिहार में किस गठबंधन की सरकार बन सकती है, तो 34.7% लोगों ने महागठबंधन का नाम लिया, जबकि 34.4% ने एनडीए पर भरोसा जताया। करीब 12.3% लोगों ने जन सुराज के उभरने की संभावना जताई और 10.1% लोगों ने अपनी राय सुरक्षित रखी।
प्रशांत किशोर की पार्टी का क्या?
वोट वाइब के अनुसार, प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज की एंट्री ने इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव को त्रिकोणीय मुकाबले में बदल दिया है। उनका कहना है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि जन सुराज किस गठबंधन को अधिक नुकसान पहुंचाएगा।
सियासी समीकरणों में नई उलझन
एक ओर जहां सर्वे एजेंसियां और विश्लेषक महागठबंधन को मजबूती दिखा रहे हैं, वहीं सट्टा बाजार का झुकाव एनडीए के पक्ष में साफ नज़र आ रहा है। अब देखना दिलचस्प होगा कि जनता का मूड किस ओर झुकता है, क्या फलोदी सट्टा बाजार की भविष्यवाणी सही साबित होगी या वोट वाइब के सर्वे का आंकलन सटीक निकलेगा। फिलहाल इतना तय है कि बिहार की सियासत एक बार फिर रोमांचक मोड़ पर है, और 2025 का चुनाव राज्य की राजनीति की दिशा तय करने वाला साबित हो सकता है।

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