क्या है पूरी खबर?
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने जानकारी दी कि चीन की ओर से कुछ भारतीय कंपनियों को रेयर अर्थ मैग्नेट्स इंपोर्ट करने के लिए आधिकारिक लाइसेंस मिल गया है। यह वही कच्चा माल है जो इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, मोबाइल फोन्स, विंड टर्बाइन्स और हाई-टेक उपकरणों में बेहद जरूरी होता है। इस निर्णय से भारत की ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को बड़ी राहत मिलने वाली है, जो अब तक इस कच्चे माल की कमी से जूझ रही थीं।
किन कंपनियों को मिली मंजूरी?
लाइव मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने चार प्रमुख कंपनियों को रेयर अर्थ मैग्नेट्स इंपोर्ट की अनुमति दी है। इनमें शामिल हैं: जे उशिन लिमिटेड (नई दिल्ली स्थित), डी डायमंड इलेक्ट्रिक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (हरियाणा स्थित), कॉन्टिनेंटल एजी की भारतीय यूनिट, हिताची एस्टेमो की भारतीय शाखा। इन सभी कंपनियों को चीन की कॉमर्स मिनिस्ट्री से औपचारिक मंजूरी मिल गई है।
क्यों अहम है यह कदम?
रेयर अर्थ मैग्नेट्स का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), रोबोटिक्स, मोबाइल डिवाइसेस, विंड एनर्जी उपकरणों और एडवांस्ड मोटर्स में किया जाता है। भारत इन सामग्रियों के लिए अब तक मुख्य रूप से चीन पर निर्भर रहा है। लेकिन जब चीन ने अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर के चलते इन सामग्रियों के एक्सपोर्ट पर पाबंदी लगाई थी, तो इसका असर भारत पर भी पड़ा। कई भारतीय उद्योगों को कच्चे माल की भारी कमी का सामना करना पड़ा। अब जब चीन ने भारतीय कंपनियों को फिर से एक्सपोर्ट लाइसेंस दिया है, तो यह इंडस्ट्री के लिए नया जीवनदान साबित हो सकता है।
आगे की क्या है संभावनाएं?
उद्योग जगत के अनुसार, आने वाले समय में और भी भारतीय कंपनियों को रेयर अर्थ मैग्नेट इंपोर्ट की मंजूरी मिल सकती है। इससे भारत की मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी बढ़ेगी, साथ ही “मेक इन इंडिया” पहल को भी गति मिलेगी। भारत धीरे-धीरे खुद रेयर अर्थ मटेरियल्स के क्षेत्र में आत्मनिर्भरत की दिशा में बढ़ रहा है।
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