समिति ने रिपोर्ट सौंपकर खुद को अक्षम बताया
जानकारी के अनुसार, समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उच्च न्यायालय के 12 जनवरी 2024 के आदेश के अनुपालन में शिक्षामित्रों के मानदेय वृद्धि के प्रकरण की समीक्षा की गई। जांच के दौरान यह पाया गया कि मानदेय बढ़ाने से बड़ा वित्तीय बोझ आएगा, और ऐसा निर्णय केवल मंत्री परिषद या सक्षम स्तर से ही लिया जा सकता है। इसलिए समिति ने इसे विधिसम्मत न मानते हुए फाइल शासन को वापस भेज दी है। समिति ने सर्वसम्मति से यह सिफारिश की है कि शासन उच्च स्तर पर इस विषय पर विचार करे और आगे की आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करे।
कौन थे समिति के सदस्य
शासन की ओर से गठित समिति में बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल, SCERT निदेशक गणेश कुमार, परीक्षा नियामक प्राधिकारी अनिल भूषण चतुर्वेदी, और मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के वित्त नियंत्रक राकेश सिं शामिल थे। इन चार अधिकारियों की समिति ने विस्तृत अध्ययन के बाद यह रिपोर्ट शासन को भेज दी है।
शिक्षामित्रों की उम्मीदें अभी बाकी
हालांकि, बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शिक्षामित्रों के लिए उम्मीदें अभी खत्म नहीं हुई हैं। चूंकि समिति के अधिकार सीमित थे, इसलिए अब निर्णय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में होने वाली मंत्री परिषद में लिया जा सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि अगर उच्च स्तर से स्वीकृति मिलती है तो शिक्षामित्रों के मानदेय में उल्लेखनीय वृद्धि संभव है। मुख्यमंत्री ने शिक्षक दिवस (5 सितंबर) को आयोजित समारोह में भी संकेत दिए थे कि शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने के लिए समिति का गठन किया गया है और इस पर जल्द सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा।

0 comments:
Post a Comment