क्या रूस वाकई 'कागजी शेर' है? ट्रंप के दावे में कितनी सच्चाई

नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का हालिया बयान जिसमें उन्होंने रूस को ‘पेपर टाइगर’ यानी कागजी शेर कहा वैश्विक राजनीति और रूस-यूक्रेन युद्ध पर एक नई बहस को जन्म दे चुका है। एक ऐसे समय में जब यूक्रेन युद्ध अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है और दुनिया की बड़ी ताकतें थकान महसूस कर रही हैं, ट्रंप की टिप्पणी कई सवाल खड़े करती है: क्या रूस वास्तव में कमजोर हो गया है? या यह बयान सिर्फ अमेरिकी राजनीति का हिस्सा है?

रूस की ताकत: युद्ध की सच्चाई क्या कहती है?

अगर सिर्फ आंकड़ों की बात करें तो रूस आज भी दुनिया की शीर्ष सैन्य ताकतों में से एक है। ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2025 के अनुसार रूस की सेना दुनिया की दूसरी सबसे ताकतवर सेना हैं। रूस के पास अब भी 12,000 टैंक, 4,000 विमान और $126 अरब का रक्षा बजट है। रूस के पास विशाल परमाणु भंडार हैं, जो अमेरिका से भी ज्यादा हैं।

हालांकि, युद्ध की वास्तविकता यह भी है कि आज की लड़ाइयाँ महज टैंकों और विमानों से नहीं, तकनीक, मनोबल, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से जीती जाती हैं। ट्रंप के इस दावे का जवाब रूस की ओर से तीखा आया हैं। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2 अक्टूबर को सोची में कहा कि ट्रंप का बयान 'नाटो के लिए खतरा' है और रूस को उकसाने जैसा है। पुतिन ने चेतावनी दी कि अगर अमेरिका लंबी दूरी के मिसाइल यूक्रेन को सप्लाई करता रहा, तो रूस तुरंत जवाबी कार्रवाई करेगा। वहीं, रूसी मीडिया ने ट्रंप के बयान को 'अमेरिकी घमंड' करार दिया हैं।

युद्ध में क्या रूस वाकई कमजोर है?

यह कहना कि रूस पूरी तरह 'कागजी शेर' है गलत हैं। रूस अब भी यूक्रेन के कई इलाकों पर नियंत्रण रखता है। हालांकि, यूक्रेन जैसे कमजोर देश के सामने रूस की सैन्य की प्रतिष्ठा को भारी धक्का पहुंचा है, उसकी रणनीतिक विफलताएं उजागर हुई हैं और आधुनिक युद्ध के नए मानकों पर वह पूरी तरह खरा नहीं उतर पाया है। लेकिन आज भी रूस की ताकत ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स के अनुसार अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर हैं।

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