इस निर्णय का उद्देश्य न केवल किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है, बल्कि दलहन आत्मनिर्भरता मिशन को भी गति देना है। इससे दाल उत्पादन में स्थिरता आएगी और किसान अपने उत्पादन को उचित मूल्य पर बेच सकेंगे।
पीली मटर पर ड्यूटी-फ्री से पैदा हुआ असंतुलन
दिसंबर 2023 में पीली मटर को ड्यूटी-फ्री किया गया था। इसके बाद रूस और कनाडा से सस्ती मटर का आयात तेजी से बढ़ गया, जिससे घरेलू उत्पादकों को भारी नुकसान हुआ। वर्ष 2024-25 में भारत ने लगभग 67 लाख टन दालें आयात कीं, जिनमें 30 लाख टन केवल पीली मटर थी। आयातित मटर की औसत कीमत 3,500 रुपये प्रति क्विंटल रही, जबकि अरहर, उड़द और मूंग का MSP 7,400 रुपये से 8,682 रुपये प्रति क्विंटल के बीच था। सस्ते आयात के कारण किसानों को अपनी फसल MSP से काफी कम दाम में बेचना पड़ा, जिससे घरेलू बाजार कमजोर हुआ।
आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम
भारत का लक्ष्य 2030 तक दालों में आत्मनिर्भर बनना है। वर्तमान में देश को सालाना लगभग 3 करोड़ टन दालों की जरूरत है, जबकि उत्पादन 2.4 करोड़ टन के आसपास है। पीली मटर पर आयात शुल्क बढ़ने से विदेशी मटर महंगा होगी और घरेलू उत्पादन की मांग बढ़ेगी। इससे किसानों को दालों की खेती के लिए बेहतर आर्थिक प्रोत्साहन मिलेगा। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और झारखंड जैसे राज्यों में चल रहे दलहन मिशन को इस निर्णय से मजबूती मिलेगी।
दालों के वर्तमान भाव और MSP पर खरीद
वर्तमान में अरहर की कीमत 7,000 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि MSP 7,550 रुपये है, उड़द की 6,150 रुपये प्रति क्विंटल है (MSP 7,400 रुपये), और मूंग का भाव 6,557 रुपये प्रति क्विंटल है (MSP 8,682 रुपये)। सरकार ने अब अरहर, मूंग और उड़द की शत-प्रतिशत MSP पर खरीद के लिए किसानों का पंजीकरण शुरू कर दिया है।

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