किसानों की लागत में भारी कमी
मुख्यमंत्री के मुताबिक, कृषि लागत का सबसे बड़ा हिस्सा सिंचाई पर खर्च होता है। कई किसान बिजली बिल समय पर नहीं भर पाने के कारण सिंचाई में बाधा का सामना करते थे। नई व्यवस्था लागू होने के बाद किसानों की उत्पादन लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी तथा उनकी आय में प्रत्यक्ष वृद्धि होगी। सरकार का मानना है कि यह योजना किसानों को खेती में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।
गेहूं–धान खरीदी में भी बड़ा फैसला
प्रदेश सरकार ने फसल खरीद से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए हैं। प्रदेश में किसानों से गेहूं की खरीद ₹2,600 प्रति क्विंटल की दर से की जाएगी। धान उत्पादक किसानों को नियमानुसार बोनस राशि दी जाएगी। इतना ही नहीं, प्रदेश में आज से चार प्रमुख फसलों की MSP पर खरीद भी आरंभ हो रही है, जिसके लिए 3.12 लाख से अधिक किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। इससे किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित मिलेगा।
सोयाबीन के लिए भावांतर योजना वरदान
मध्यप्रदेश देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ भावांतर योजना के तहत सोयाबीन उत्पादक किसानों को अतिरिक्त आर्थिक सहायता दी जा रही है। इस योजना ने कई किसानों को बाजार मूल्य गिरने की स्थिति में भी वित्तीय सुरक्षा प्रदान की है।
फसल नुकसान पर राहत राशि का वितरण
राज्य सरकार ने फसलों को प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान के लिए भी राहत प्रदान करने की घोषणा की है। 27 नवंबर को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव श्योपुर में धान उत्पादक किसानों को राहत राशि वितरित करेंगे। प्रशासन द्वारा क्षति का सर्वे कराया जा चुका है, जिसके आधार पर प्रभावित किसानों को सहायता मिलेगी।

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