भारत का बड़ा फैसला, अमेरिका हैरान, ट्रंप को टेंशन!

नई दिल्ली। भारत ने अपने सीफूड सेक्टर में रणनीतिक बदलाव करते हुए अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम कर दी है। अमेरिकी प्रशासन द्वारा झींगा और अन्य समुद्री उत्पादों पर बढ़ती टैरिफ नीतियों के बीच, भारत ने नए अंतरराष्ट्रीय बाजारों की ओर अपना रुख किया है। इसका नतीजा यह हुआ कि वित्त वर्ष 2026 के शुरुआती पांच महीनों में भारत का झींगा निर्यात 18% की तेज़ बढ़ोतरी के साथ 2.43 अरब डॉलर तक पहुंच गया।

इन मार्केट्स ने बढ़ाई निर्यात रफ्तार

रिपोर्ट के अनुसार, कुल अतिरिक्त निर्यात मूल्य का 86% हिस्सा नए बाजारों से आया है। इसी दौरान गैर-अमेरिकी निर्यात 30% बढ़कर 1.38 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले साल की इसी अवधि के 1.06 अरब डॉलर से काफी अधिक है। इन नए बाजारों में वियतनाम, बेल्जियम, रूस और चीन प्रमुख खरीदार बनकर उभरे हैं। इस बदलाव से भारत की वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी भी मजबूत हुई है, और नॉन-यूएस बाजारों की हिस्सेदारी 51% से बढ़कर 57% हो गई।

अमेरिकी टैरिफ के चलते भारत ने बदला रास्ता

अमेरिका ने भारतीय झींगा पर लगातार टैरिफ बढ़ाए, जिससे भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा कमजोर हुई। अप्रैल से अगस्त 2025 के बीच अमेरिकी टैरिफ 18% तक पहुंच गया, जबकि इक्वाडोर और इंडोनेशिया जैसे प्रतिस्पर्धियों पर केवल 13-14% टैक्स था। अगस्त के बाद भारत पर प्रभावी शुल्क लगभग 58% तक पहुँच गया। इस स्थिति में कई राज्यों और निर्यातकों ने गैर-अमेरिकी बाजारों की ओर रुख किया। ऐसे बाजारों में टैक्स बोझ कम था और मांग स्थिर बनी हुई थी।

चीन, वियतनाम और बेल्जियम बने प्रमुख खरीदार

नए बाजारों में चीन सबसे बड़ा खरीदार बना, जहां भारत का झींगा निर्यात 16% बढ़ा। वियतनाम ने अपनी ‘री-एक्सपोर्ट’ भूमिका को मजबूत करते हुए झींगा आयात दोगुना कर 0.18 अरब डॉलर तक पहुंचाया। यूरोपीय संघ की मांग में सुधार के कारण बेल्जियम को भेजे जाने वाले निर्यात भी दोगुना हो गए। वहीं, जापान ने स्थिर आयात स्तर बनाए रखा, खासकर उन श्रेणियों में जहां वह पहले री-प्रोसेसिंग केंद्र के तौर पर कार्य करता था।

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