निर्यात में सकारात्मक वृद्धि
अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच भारत का कुल निर्यात 2.9% बढ़कर 220 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले साल इसी अवधि में 214 अरब डॉलर था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ, जिन्हें कई लोग बाधा मान रहे थे, भारत के लिए सकारात्मक अवसर बन गए।
हालांकि अमेरिका को निर्यात अभी भी सालाना आधार पर बढ़ रहा है और 45 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, लेकिन सितंबर में इसमें थोड़ी गिरावट देखी गई। जुलाई 2025 से अमेरिकी हिस्सेदारी भारत के कुल निर्यात में घटकर 15% रह गई। इसका मुख्य कारण समुद्री उत्पाद, कीमती पत्थर, रेडीमेड कॉटन और कॉटन फैब्रिक का अमेरिका को कम निर्यात होना है।
नई मार्केट पर फोकस
भारत ने अमेरिका पर निर्भरता कम करते हुए अपने निर्यात को कई अन्य देशों की ओर बढ़ाया है। यूएई, चीन, वियतनाम, जापान, हांगकांग, बांग्लादेश, श्रीलंका और नाइजीरिया में निर्यात में तेजी देखी गई। विभिन्न प्रकार के उत्पाद जैसे वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, समुद्री उत्पाद और ज्वैलरी नए बाजारों में भेजे जा रहे हैं। इस रणनीति से भारत ने वैश्विक व्यापार में विविधता ला दी है और किसी एक बाजार पर निर्भरता कम की है।
अमेरिकी बाजार तक पहुंच
दिलचस्प यह है कि ऑस्ट्रेलिया और हांगकांग जैसे देश भारत से सामान खरीदकर अमेरिका को बेच रहे हैं। जनवरी से अगस्त 2025 के बीच, मोती और कीमती पत्थरों के निर्यात में ऑस्ट्रेलिया का हिस्सा 2% से बढ़कर 9% हो गया, जबकि हांगकांग का हिस्सा 1% से बढ़कर 2% हो गया।
भारत सरकार ने किया सहयोग
भारत सरकार ने निर्यातकों की मदद के लिए 45,060 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। इसमें से 20,000 करोड़ रुपये बैंक लोन पर क्रेडिट गारंटी के लिए हैं। छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए ‘क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट’ (CGTMSE) के तहत बिना गारंटी के लोन मिलेगा। इससे कंपनियों को पूंजी की कमी नहीं होगी और उनका काम सुचारु रूप से चल सकेगा।
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