बिहार में 'महिलाओं' के लिए खुशखबरी, सरकार ने दी सौगात!

पटना। बिहार की राज्य सरकार ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना को जारी रखा है। इस योजना के तहत राज्य की प्रत्येक पात्र महिला को दस हजार रुपये की प्रारंभिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिसका उद्देश्य महिलाओं को अपनी पसंद का व्यवसाय शुरू करने में मदद करना है।

योजना का उद्देश्य सिर्फ आर्थिक मदद तक सीमित नहीं है। इसके तहत महिलाओं द्वारा तैयार किए गए उत्पादों की बिक्री के लिए हाट-बाजार और अन्य विक्रय केंद्र विकसित किए जाएंगे, जिससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

योजना की विशेषताएँ

वित्तीय सहायता: इस योजना में महिलाओं को 10,000 रुपये का अनुदान दिया जाता है, जिसे लौटाना नहीं होता। सही उपयोग पर, दो लाख रुपये तक की अतिरिक्त सहायता भी प्राप्त की जा सकती है।

पात्रता: योजना का लाभ लेने वाली महिला की आयु 18 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए। आवेदिका या उसके पति आयकर दाता नहीं होना चाहिए और किसी सरकारी सेवा में कार्यरत नहीं होना चाहिए।

जैविका स्वयं सहायता समूह: योजना में शामिल होने वाली महिलाएं जीविका स्वयं सहायता समूह की सदस्य होंगी। जो महिलाएं अभी तक समूह से जुड़ी नहीं हैं, उन्हें समूह में जोड़कर योजना का लाभ मिलेगा।

अनिश्चित अवधि: राज्य सरकार ने योजना की कोई अंतिम तिथि नहीं निर्धारित की है। जब तक सभी पात्र महिलाएं इसका लाभ नहीं ले लेतीं, यह योजना जारी रहेगी।

महिलाओं के सशक्तिकरण में सरकार की भूमिका

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठाए हैं। राज्य में अब तक एक करोड़ 51 लाख महिलाओं के खाते में दस-दस हजार रुपये जमा कर दिए गए हैं। योजना के तहत महिलाएं स्वरोजगार के माध्यम से न केवल आर्थिक रूप से मजबूत होंगी, बल्कि समाज में उनके योगदान और पहचान में भी वृद्धि होगी।

इस योजना को लेकर क्या है चुनावी विवाद?

हाल ही में इस योजना को लेकर राजनीतिक विवाद भी उठ खड़ा हुआ है। आदर्श आचार संहिता लागू होने के बावजूद कुछ राजनीतिक दलों ने योजना के तहत धनराशि वितरण को चुनावी लाभ से जोड़कर विवाद खड़ा किया। हालांकि, सरकारी अधिकारियों का कहना है कि यह योजना पहले से चल रही है और इसका चुनावी लाभ से कोई संबंध नहीं है।

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