पहले एक साल के किरायेदारी अनुबंध पर चार प्रतिशत स्टांप शुल्क देना पड़ता था, जो कई लोगों के लिए बोझ बन गया था। इसके चलते अधिकांश मकान मालिक और किरायेदार अपने अनुबंध को पंजीकृत नहीं कराते थे, जिससे विवाद की स्थिति भी बढ़ती थी।
अब इस फैसले के बाद, उदाहरण के तौर पर पांच साल के अनुबंध पर पहले जो लगभग 30 हजार रुपये स्टांप और निबंधन शुल्क के रूप में देना पड़ता था, वह केवल तीन हजार रुपये रह जाएगा। इसी तरह 10 साल के अनुबंध में 40 हजार रुपये की जगह केवल चार हजार रुपये देना होगा। दो से छह लाख रुपये वार्षिक किराए वाले अनुबंध के लिए अब स्टांप शुल्क केवल दस प्रतिशत होगा।
अफसरों का कहना है कि इस फैसले से किरायेदारी अनुबंधों की संख्या में वृद्धि होगी। सरकार का यह कदम किरायेदारी विवादों को कम करने और राजस्व बढ़ाने में मदद करेगा। अब मकान मालिक और किरायेदार बिना किसी आर्थिक भार के अपने अनुबंध को पंजीकृत कर सकेंगे, जिससे अनुबंधों में पारदर्शिता भी बढ़ेगी।
आपको बता दें की उत्तर प्रदेश सरकार का यह निर्णय विशेष रूप से इस उद्देश्य से लिया गया है कि अधिक से अधिक लोग अपने किरायेदारी अनुबंध पंजीकृत कराएं और न केवल उनके अधिकार सुरक्षित रहें, बल्कि सरकार को भी राजस्व में लाभ हो।

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