इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के छात्रों को बेहतर प्रयोगात्मक माहौल उपलब्ध कराना है, ताकि विज्ञान की पढ़ाई अब सिर्फ किताबों तक सीमित न रहकर प्रयोग आधारित बने। इससे छात्रों को विज्ञान की समझ विकसित करने में सहायता मिलेगी।
दो जोन में होगा काम, 38 जिलों में नई लैब्स
राज्य के सभी 38 जिलों को दो हिस्सों में बांटकर कार्य आसान किया गया है। जोन–1 और जोन–2 के रूप में विभाजित इन जिलों में चरणबद्ध तरीके से लैब स्थापित होंगी। पूरे बिहार में 3478 फिजिक्स लैब, 3508 केमिस्ट्री लैब, 3545 बायोलॉजी लैब स्थापित करने की योजना है।
जोन–1
दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, अररिया, कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, गोपालगंज, सारण, सीवान, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, वैशाली।
जोन–2
बेगूसराय, जमुई, खगड़िया, लखीसराय, मुंगेर, शेखपुरा, नालंदा, नवादा, बांका, भागलपुर, भोजपुर, बक्सर, कैमूर, पटना, रोहतास, अरवल, औरंगाबाद, गया, जहानाबाद।
टर्न-की मॉडल पर पूरी व्यवस्था
लैब निर्माण से लेकर इंस्टालेशन तक की पूरी जिम्मेदारी एक एजेंसी को सौंपी गई है। इसमें भवन में आवश्यक बदलाव, उपकरणों की खरीद, सेटअप तैयार करना, इंस्टालेशन, और सभी सामान उपयोग योग्य स्थिति में देना जैसे सभी कार्य एजेंसी ही करेगी। यदि किसी स्कूल में फिलहाल स्थायी लैब कक्ष उपलब्ध नहीं है, तो वहाँ अस्थायी लैब सेटअप बनाकर छात्रों के प्रयोगात्मक सत्र शुरू कराए जाएंगे।
छात्रों को मिलेगा आधुनिक प्रयोगात्मक वातावरण
नई लैब्स छात्रों को ऐसा माहौल देंगी जिसमें वे बिना जोखिम बेहतर ढंग से प्रयोग कर सकें। इससे थ्योरी और प्रैक्टिकल का बेहतर तालमेल बनेगा, विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ेगी, प्रतियोगी परीक्षाओं में भी लाभ मिलेगा, ग्रामीण छात्रों को भी शहर जैसी सुविधाएँ मिलेंगी
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