यह कदम भारत के लिए इसलिए अहम है क्योंकि देश यूरिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। लगभग 40 प्रतिशत भारतीय आबादी कृषि से जुड़ी है और फसल उत्पादन के लिए यूरिया एक अहम उर्वरक है। भारत में पर्याप्त प्राकृतिक गैस और अमोनिया नहीं होने के कारण घरेलू उत्पादन महंगा होता है और देश को यूरिया के लिए आयात पर निर्भर रहना पड़ता है।
उदाहरण के तौर पर, 2020–21 में भारत ने लगभग 9.8 मिलियन टन यूरिया आयात किया, जबकि 2023–24 में यह आंकड़ा 5.6 मिलियन टन और अप्रैल–अक्टूबर 2025 में 5.9 मिलियन टन रहा। इसलिए भारत-रूस की यह साझेदारी भारतीय कृषि क्षेत्र में स्थिरता लाने, उत्पादन लागत घटाने और किसानों को भरोसेमंद उर्वरक उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण साबित होगी।
रूस के पास प्राकृतिक गैस और अमोनिया के भी बड़े भंडार मौजूद हैं, जिससे वहां यूरिया का उत्पादन आसानी से और कम लागत में किया जा सकता है। इस साझेदारी से भारत सीधे रूस से यूरिया सप्लाई ले सकेगा, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में उतार-चढ़ाव का असर कम होगा और किसानों को यूरिया आसानी से और उचित दाम पर उपलब्ध होगा।

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