दुनिया में सिर्फ नौ देश ऐसे हैं, जो परमाणु संपन्न माने जाते हैं। उसमे से भारत भी शामिल हैं। ऐसे में ये सवाल अक्सर उठता हैं की भारत में परमाणु बम का रिमोट कंट्रोल किसके पास होता हैं। आज इस रिपोर्ट के माध्यम से जानने की कोशिश करेंगे की भारत में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर क्या नियम और नीतियां बनाई गई हैं।
भारत में कौन करता है परमाणु बम पर अंतिम फैसला?
भारत, एक परमाणु संपन्न और जिम्मेदार देश होने के नाते, अपने परमाणु हथियारों के नियंत्रण के लिए एक बेहद सख्त और सुव्यवस्थित प्रणाली अपनाता है। आम धारणा के विपरीत, भारत के प्रधानमंत्री के पास सीधे तौर पर कोई "न्यूक्लियर बटन" नहीं होता। वे खुद अकेले कोई परमाणु हमला नहीं कर सकते।
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में परमाणु हथियारों का निर्णय Nuclear Command Authority (NCA) के अधीन होता है। यह संस्था दो स्तरों में बंटी होती है: राजनीतिक परिषद (Political Council) और कार्यकारी परिषद (Executive Council)
राजनीतिक परिषद का नेतृत्व करते हैं प्रधानमंत्री
राजनीतिक परिषद की अध्यक्षता खुद देश के प्रधानमंत्री करते हैं। यह परिषद ही वह निकाय है जिसे परमाणु हमले का अंतिम आदेश देने का अधिकार प्राप्त है। यानी भारत में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का अंतिम फैसला सामूहिक रूप से और रणनीतिक विचार-विमर्श के बाद ही लिया जाता है।
कार्यकारी परिषद और सामरिक बल कमान का रोल
कार्यकारी परिषद की अध्यक्षता राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) करते हैं। इस परिषद का कार्य राजनीतिक परिषद से मिले आदेशों को लागू करना होता है। इसके अलावा, भारत ने Strategic Forces Command (SFC) यानी सामरिक बल कमान भी स्थापित किया है, जो परमाणु मिसाइलों के तकनीकी संचालन और लॉन्चिंग का जिम्मा संभालती है।
भारत की परमाणु नीति 'No First Use' की पॉलिसी
भारत की परमाणु नीति ‘No First Use (NFU)’ के सिद्धांत पर आधारित है। इसका मतलब है कि भारत किसी भी देश पर पहले परमाणु हमला नहीं करेगा, लेकिन अगर भारत पर परमाणु हमला किया गया तो वह जवाबी कार्रवाई का पूरा अधिकार रखता है।
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