सरकार का मानना है कि जब पड़ोसी देश द्वारा युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न की जाती है, तो देश की आंतरिक तैयारी और सामाजिक सहायता तंत्र को मजबूत करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। ऐसे समय में स्काउट एवं गाइड जैसी संस्थाएं न केवल घायल लोगों को प्राथमिक चिकित्सा मुहैया कराने, स्ट्रेचर बनाकर उन्हें अस्पताल पहुंचाने जैसे कार्यों में सक्षम होती हैं, बल्कि राष्ट्रीय एकता और सेवा भावना को भी बढ़ावा देती हैं।
प्रशिक्षण की भी व्यवस्था:
प्रत्येक जिले में 50-50 शिक्षकों को 7 से 10 दिन का विशेष प्रशिक्षण देने का आदेश जारी किया गया है। इन्हें स्काउट एवं गाइड के गतिविधियों और आपदा प्रबंधन की जानकारी दी जाएगी, ताकि वे अपने-अपने स्कूलों में बच्चों को प्रभावी प्रशिक्षण दे सकें।
प्राथमिक स्तर पर स्काउट-गाइड:
सरकार के आदेश के अनुसार, कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए 'कब' (लड़के) और 'बुलबुल' (लड़कियां) नामक दलों का गठन किया जाएगा। प्रत्येक दल में 24 सदस्य होंगे। कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों के लिए लड़कों का ‘स्काउट’ और लड़कियों का ‘गाइड’ दल बनाया जाएगा।
आपदा ही नहीं, सामाजिक कार्यों में भी होगी भागीदारी:
स्काउट एवं गाइड की भूमिका सिर्फ युद्ध या आपदाओं तक सीमित नहीं रहेगी। इन्हें सामाजिक सेवाओं, जैसे कि मतदान के दौरान मतदाताओं की सहायता, भूखे लोगों के लिए भोजन व्यवस्था, रक्तदान शिविरों में सहयोग, और सड़क सुरक्षा जागरूकता जैसे अभियानों में भी सक्रिय रूप से जोड़ा जाएगा।
शासन द्वारा सभी स्कूल प्रशासन को निर्देशित किया गया है कि वे जल्द से जल्द अपने-अपने संस्थानों में स्काउट एवं गाइड दलों का गठन करें और इसके लिए आवश्यक संसाधनों तथा प्रशिक्षण की व्यवस्था करें। यह आदेश सभी सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों पर लागू होगा।
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