ध्वनि से तीन गुना तेज़
ब्रह्मोस-NG की सबसे बड़ी ताकत है इसकी रफ्तार। यह मिसाइल मैक 3 (ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना तेज़) की रफ्तार से उड़ान भर सकती है। इस गति पर किसी भी दुश्मन देश के एयर डिफेंस सिस्टम के लिए इसे पहचानना और रोकना बेहद मुश्किल हो जाता है। यही कारण है कि चीन और पाकिस्तान जैसे देशों की चिंता बढ़ गई है — उन्हें भारत की इस मिसाइल से होने वाले हमले का अंदाजा भी नहीं लग पाता और प्रतिक्रिया देने का समय भी नहीं मिलता।
छोटी, हल्की, मगर बेहद घातक
ब्रह्मोस-NG का डिज़ाइन इसे मौजूदा ब्रह्मोस से छोटा और हल्का बनाता है, जिससे इसे वायुसेना के फाइटर जेट्स (जैसे राफेल और तेजस) पर आसानी से तैनात किया जा सकता है। यह गुण भारत को "फायर एंड फॉरगेट" रणनीति में और अधिक लचीलापन और ताकत देता है। एक लड़ाकू विमान एक साथ दो ब्रह्मोस-NG मिसाइलें ले जा सकता है, जिससे एक ही sortie (उड़ान अभियान) में अधिकतम तबाही मचाई जा सकती है।
दुश्मन के रडार से बच निकलने में सक्षम
ब्रह्मोस-NG को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह दुश्मन के रडार और एयर डिफेंस को चकमा देने में सक्षम है। इसकी कम ऊँचाई पर उड़ान भरने की क्षमता और रडार-प्रूफ तकनीक इसे एक ‘इनविज़िबल’ हथियार बना देती है। युद्ध के समय यह निर्णायक बढ़त दिला सकता है।
चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ा देने वाली मिसाइल
भारत की यह नई मिसाइल सिर्फ एक तकनीकी सफलता नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश भी है। चीन और पाकिस्तान दोनों ही देशों के लिए ब्रह्मोस-NG भारत की जवाबी कार्रवाई की गति और क्षमता का प्रतीक बन चुकी है। चीन की बढ़ती आक्रामकता और पाकिस्तान के आतंकवादी प्रायोजन के जवाब में यह मिसाइल भारत को एक सशक्त और तेजी से प्रतिक्रिया देने योग्य राष्ट्र बनाती है।
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