भारत का 'सुपर सुखोई' मिशन: चीन-पाक का काल!

नई दिल्ली – भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता अब पहले से कहीं ज्यादा घातक और आधुनिक बनने जा रही है। भारत का प्रमुख रक्षा सार्वजनिक उपक्रम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) जल्द ही सुखोई-30 MKI लड़ाकू विमानों को "सुपर सुखोई" में तब्दील करने जा रहा है। 'सुपर-30' नाम के इस मेगा अपग्रेडेशन प्रोग्राम की शुरुआत वर्ष 2026 में होगी, जिसकी लागत लगभग ₹63,000 करोड़ रुपये आंकी गई है।

क्या है 'सुपर-30' प्रोग्राम?

'सुपर-30' प्रोग्राम के तहत HAL कुल 84 सुखोई-30 MKI लड़ाकू विमानों को अत्याधुनिक तकनीकों से लैस करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय वायुसेना की युद्ध क्षमता को नई ऊंचाइयों तक ले जाना है। अपग्रेड के बाद ये विमान आधुनिकतम स्टील्थ और मल्टी-रोल फाइटर्स को टक्कर देने में सक्षम होंगे।

ये होंगे प्रमुख अपडेट्स:

1 .विरुपाक्ष AESA रडार:

'सुपर सुखोई' में स्वदेशी विरुपाक्ष गैलियम नाइट्राइड (GaN) आधारित AESA रडार लगाया जाएगा। यह रडार दुश्मन के विमानों को लंबी दूरी से ट्रैक कर सकता है और जैमिंग-रेसिस्टेंट है, जिससे यह चीन के J-35A जैसे स्टील्थ जेट्स से मुकाबले में बेहद प्रभावी बन जाता है।

 2 .डिजिटल कॉकपिट:

नए जमाने की तकनीक के साथ सुखोई को एक फुली डिजिटल कॉकपिट मिलेगा जिसमें टच स्क्रीन वाइडस्क्रीन डिस्प्ले, वॉयस-एक्टिवेटेड कमांड सिस्टम और एडवांस मिशन कंट्रोल कंप्यूटर होंगे। इससे पायलट की कार्यकुशलता में जबरदस्त सुधार होगा।

3 .स्वदेशी हथियार प्रणाली:

इन विमानों में अस्त्र Mk-1, Mk-2 और Mk-3 एयर-टू-एयर मिसाइलें तथा ब्रह्मोस-A सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल जैसी अत्याधुनिक स्वदेशी मिसाइलें जोड़ी जाएंगी। यह न सिर्फ भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि आयात पर भी निर्भरता घटाएगा।

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