1. बैलेस्टिक मिसाइल: गुरुत्वाकर्षण की मारक शक्ति
बैलेस्टिक मिसाइलें वह मिसाइलें होती हैं जो रॉकेट की सहायता से छोड़ी जाती हैं और एक विशेष ऊँचाई तक पहुँचने के बाद गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से नीचे गिरती हैं। इनका पथ आम तौर पर एक वक्र (parabolic) होता है, ठीक उसी तरह जैसे कोई पत्थर हवा में फेंकने के बाद गिरता है।
गति: री-एंट्री के समय हाइपरसोनिक (Mach 5+)
रेंज: कुछ सौ किलोमीटर से लेकर 12,000+ किलोमीटर तक
हथियार क्षमता: पारंपरिक और परमाणु दोनों
उदाहरण: अग्नि श्रृंखला (भारत), मिनटमैन (अमेरिका)
इन मिसाइलों का उपयोग दूरी के सामरिक हमलों के लिए किया जाता है। एक बार लॉन्च होने के बाद इन्हें ट्रैक करना और रोकना मुश्किल हो सकता है, विशेष रूप से इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल (ICBM) को।
2. क्रूज मिसाइल: सटीकता से किया गया वार
क्रूज मिसाइलें कम ऊँचाई पर उड़ती हैं और अपने लक्ष्य की दिशा में लगातार नियंत्रित रहती हैं। ये आमतौर पर जेट इंजन से चलती हैं और GPS या टेरेन मैपिंग की मदद से लक्ष्य तक पहुंचती हैं। इनका पथ जमीन के आकार के अनुसार तय किया जाता है, जिससे इन्हें रडार से पकड़ना मुश्किल होता है।
गति: सबसोनिक (Mach 0.8–0.9) या सुपरसोनिक (Mach 2–3)
सटीकता: अत्यधिक
उदाहरण: ब्रह्मोस (भारत-रूस), टॉमहॉक (अमेरिका)
क्रूज मिसाइलें दुश्मन के ठिकानों, रडार स्टेशनों या मोबाइल टारगेट्स को चुपचाप और सटीकता से नष्ट करने के लिए आदर्श मानी जाती हैं।
3. हाइपरसोनिक मिसाइल: भविष्य का हथियार
हाइपरसोनिक मिसाइलें युद्ध तकनीक की नवीनतम उपलब्धि हैं। ये मिसाइलें Mach 5 (ध्वनि की गति से 5 गुना) से अधिक गति से उड़ सकती हैं, और अपने मार्ग में लगातार दिशा बदल सकती हैं, जिससे इन्हें इंटरसेप्ट करना बेहद कठिन हो जाता है।
ये दो प्रकार की होती हैं:
Hypersonic Glide Vehicles (HGVs) – बैलेस्टिक मिसाइल की तरह लॉन्च होती हैं लेकिन फिर वायुमंडल में ग्लाइड करती हैं।
Hypersonic Cruise Missiles – स्क्रैमजेट इंजन से चलती हैं और निरंतर हाइपरसोनिक गति बनाए रखती हैं।
गति: Mach 5 से अधिक
विशेषता: हाई स्पीड, मैन्युवरबिलिटी, कम प्रतिक्रिया समय
भारत का प्रयास: HSTDV (DRDO), ब्रह्मोस-II (निर्माणाधीन)
हाइपरसोनिक मिसाइलें रणनीतिक संतुलन को बदलने में सक्षम मानी जाती हैं क्योंकि मौजूदा एंटी-मिसाइल सिस्टम उन्हें रोकने में अक्षम हो सकते हैं।
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