अमेरिकी इंजन पर निर्भरता में आ रही है रुकावट
फिलहाल भारतीय वायुसेना के Tejas Mk-1 फाइटर जेट में अमेरिकी कंपनी GE Aerospace द्वारा निर्मित F404-IN20 इंजन का उपयोग किया जा रहा है। हालांकि, इन इंजनों की डिलीवरी में देरी हो रही है, जिससे वायुसेना की तैनाती योजनाओं पर असर पड़ा है। यही कारण है कि भारत अब वैकल्पिक और स्थायी समाधान की दिशा में Safran जैसी विश्वसनीय कंपनियों के साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहता है।
Safran और भारत की साझेदारी: रणनीतिक कदम
Safran, जो पहले भी राफेल फाइटर जेट के इंजन निर्माण में अपनी तकनीकी क्षमता दिखा चुकी है, भारत के साथ मिलकर एक उन्नत इंजन को भारत में ही विकसित करने और उत्पादन करने के लिए इच्छुक है। यह साझेदारी सिर्फ इंजनों की आपूर्ति तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसके तहत भारत में रिसर्च, डिजाइन, मैन्युफैक्चरिंग और मेंटेनेंस इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार किया जाएगा।
Tejas Mk-2: स्वदेशी क्षमता का अगला अध्याय
Tejas Mk-2 न सिर्फ मौजूदा Mk-1 का अपग्रेडेड वर्जन है, बल्कि इसमें बेहतर हथियार क्षमता, लंबी रेंज, और आधुनिक एवियॉनिक्स सिस्टम जैसी खूबियां भी शामिल होंगी। यदि Safran के साथ साझेदारी होती है, तो यह विमान तकनीकी और सामरिक दृष्टिकोण से पूरी तरह से बदल जाएगा — और भारतीय वायुसेना को और भी मजबूत बनाएगा।
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