पृष्ठभूमि: मानव-वन्यजीव संघर्ष की चुनौती
प्रदेश में मानव-वन्यजीव संघर्ष कोई नई बात नहीं है, लेकिन इसकी तीव्रता लगातार बढ़ती जा रही है। वर्ष 2024-25 में ऐसे संघर्षों में 60 लोगों की मौत और 220 घायल होने की घटनाएं सामने आईं। वर्ष 2023 में सिर्फ बिजनौर जिले में ही तेंदुओं ने 13 लोगों की जान ले ली थी। सबसे अधिक घटनाएं कतर्नियाघाट, साउथ खीरी, बहराइच, नॉर्थ खीरी और बिजनौर जैसे वनवर्ती क्षेत्रों में हुईं।
योजना का स्वरूप और लाभ
इस योजना को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की गाइडलाइंस के अनुरूप तैयार किया गया है। इसके तहत: प्रत्येक 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के पुरुष (चाहे विवाहित हों या अविवाहित) को एक अलग पात्र इकाई मानते हुए 10 लाख रुपये की एकमुश्त सहायता राशि दी जाएगी।
वहीं, दिव्यांग व्यक्ति, चाहे किसी भी उम्र या लिंग के हों, उन्हें भी अलग परिवार के रूप में सहायता मिलेगी। नाबालिग अनाथ, जिनके माता-पिता नहीं हैं, उन्हें भी योजना का स्वतंत्र लाभ मिलेगा। अचल संपत्तियों जैसे मकान, कृषि भूमि, कुएं, पेड़ आदि के मूल्य का मूल्यांकन कर उसका भी मुआवजा दिया जाएगा। साथ ही, नए पुनर्वासित क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं जैसे आवास, जलस्रोत (हैंडपंप, कुएं), बिजली और सड़क आदि सुनिश्चित की जाएंगी।
पहला चरण: कतर्नियाघाट के 118 लोग होंगे पुनर्वासित
पहले चरण में कतर्नियाघाट वन क्षेत्र के 118 लोगों की पहचान की गई है, जिन्होंने स्वेच्छा से पुनर्वास के लिए सहमति दे दी है। यह सहमति योजना की पारदर्शिता और लाभ के प्रति विश्वास को दर्शाती है। इससे संकेत मिलता है कि समुदाय भी अब जंगल के भीतर की कठिन और असुरक्षित जीवनशैली से बाहर आकर एक सुरक्षित, स्थायी और समृद्ध भविष्य की ओर बढ़ना चाहता है।
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